December 26, 2024

नव वर्ष का अभिनन्दन

आईस्ता आईस्ता जि़न्दगी आखरी मंजिल के तरफ बढ़ती जा रही है तमाम गुमनाम रिश्ते आते रहे बिछड़ते रहे मगर अपनों की भीड़ मे खोया जीवन का हर पहलू दर्द का सौगात लिए यादों की लम्बी फेहरिस्त दिये अनसुलझे सवालों के साथ पृष्ठांकित होता जा रहा हैं।समय का सागर अपनी उफान को लिए आसमान तक पहुंचने के लिए निरन्तर उम्र की तरह प्रवाहमान है।जब की आखरी मुकाम पर पहुंच कर सबको बराबर मिलता सम्मान है।जीवन के गुजरते हर लम्हा तन्हा रहने का एहसास तो कराता ही है अनुभव की कसौटी पर अपनो की पहचान भी पोख्ता करता जाता है।तमाम विसंगतियों के साथ उत्कर्ष पर पहुंचने की आकांक्षा लिए सम्पुर्ण जीवन संघर्षों में गुजर जाता है।पल पल गुजरते समय के साथ जीवनपथ की दुरुह यात्रा में कभी पीछे मुडक़र देखने की फुर्सत ही नहीं मिलता! निरन्तर सोच की उफनती दरिया में गोता लगाते अपनों की सुख सम्बृधि के साथ सलामती के लिए कठिन परिश्रम के बाद भी जब खुद को सहारे की जरूरत पड़ती है तब सारा भ्रम टूट जाता है ख्वाबों की बस्ती से मोह छूट जाता है।मगर तब तक सब कुछ बदल जाता है।चाह कर भी आह निकालना मुश्किल हो जाता है।जब तक बाग में फल थे सुहाने कलरव के साथ चहचहाना जारी था पतझड़ आते ही बीरान हो गई खुबसूरत मनमोहक वह बाग जिसके शानिध्य में जिन्दगी की हरियाली गुलजार हुई थी।यह तो अटल सत्य है आया है सो जायेगा आने के दिन ही जाने का समय भी निश्चित हो जाता है।मगर उम्र की सीमा के भीतर तमाम तरह के अनुभवों का सौगात मिलता रहता है।मतलबी ज़हान मे इसी कालखंड में अपनों की पहचान मुकम्मल हो जाती है।
साल का आखरी पहर चल रहा है यह वर्ष भी नव वर्ष की अगुवानी के लिए प्रकृति की चुनरी धानी पर अमृत बूंदों की वर्षा कर रहा है
महज कुछ घन्टो में परिवर्तन की पराकाष्ठा का प्रमाण देती यह साल अपने अतीत का जयमाल नव वर्ष के गले में डाल कर हमेशा हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में अपना कालजई वजूद दर्ज कराती इस सदी का गवाह बनती चली जायेगी !निरन्तर चलने वाला वक्त मुस्कराते फिर हाल के साल के प्रथम दिवस पर बिवस मानवता को भगवान भास्कर के सप्तरंगी किरणों के साथअद्भुत दृश्य का अवलोकन कराते कर्मपथ पर कल को नेपथ्य में छोड़ते आज के साथ समर्पण भाव लिए आगे बढ़ जायेगा। सदियों से चली आ रही परम्परा जब तक दुनियां है चलती रहेगी!
आगत का स्वागत निश्चित बिधान है और इसी सम्पदा से सुसज्जित हिन्दुस्तान है।आज को शौक से जिएं कल किसी ने नहीं देखा है धर्म कर्म दया दान सारे अभिमान को त्याग कर जीवन के गुजरते पलों में समन्वित करें इस मतलबी जहां में कोई अपना नहीं! जब तक जीवन है स्वार्थ के शानिध्य में परमार्थ को भी अंगीकृत करें! जीवों पर दया गरीबों मजलूमों असहायों पर कृपा बनाये साईं नाथ सबकी सुनते हैं। सबका मालिक एक  साईं राम