December 23, 2024

जीरो टॉलरेंस की सरकार ने पिछले 8 वर्षों से विधानसभा के पटल में नहीं रखी ऑडिट रिपोर्ट: पाण्डे


बागेश्वर।  उत्तराखण्ड में कायदे कानूनों की अनदेखी का एक उदाहरण पेश करते हुए रिटायर्ड असिस्टेंट आडिट आफिसर रमेश चंद्र पाण्डे ने खुलासा किया है। पिछले आठ वर्षों से वार्षिक आडिट रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर नहीं रखी गई है। सरकार के जीरो टॉलरेंस के दावों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा आडिट कराने से क्या फायदा। जिसकी आडिट रिपोर्ट विभाग अपने पास दबाए हुए हैं। रमेश चंद्र पाण्डे ने बताया कि 7 जून 2012 को जारी उत्तराखण्ड लेखा परीक्षा अधिनियम 2012 के नियम 8(3) में निहित प्रावधान के अनुसार निदेशक लेखा की एक संहत लेखा परीक्षा रिपोर्ट तैयार करायेगा। और उसे राज्य विधान सभा के समक्ष रखे जाने के लिए राज्य सरकार को प्रतिवर्ष भेजेगा ।
इस नियम के तहत निदेशालय द्वारा वर्ष 2012-13 एवं 2013-14 के वार्षिक लेखा परीक्षा प्रतिवेदन सदन के पटल पर पुटअप की जा चुकी है। लेकिन 2014-15 से अद्यतन अवधि की आडिट रिपोर्ट अभी तक विधानसभा पटल पर नहीं रखी गई। आडिट निदेशालय के अनुसार वर्ष 2014-15 से 2019-20 की आडिट रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखे जाने हेतु आडिट प्रकोष्ठ वित्त विभाग को भेजी गई है।
उन्होंने कहा कि सभी विभागों के आडिट में उजागर हुई अनियमितता एवं गबन से सम्बन्धित आपत्तियों को संकलित कर हर वर्ष की आडिट रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी जाती। तो इसकी समीक्षा होती और इसमें सुधार व नियन्त्रण हेतु ठोस कदम उठाए जाते। लेकिन इन्हें सदन के संज्ञान में ही नही लाये जाने से सरकार के जीरो टॉलरेंस के दावों पर भी सवाल उठ रहे हैं । सुझाव दिया कि इस मामले में अपने दायित्वों के निर्वहन में हीलाहवाली करने वालों की जवाबदेही तय करते हुए सरकार सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर आडिट रिपोर्ट सदन के पटल पर पुटअप कराना सुनिश्चित करे।