October 18, 2024

पिरूल से जलेगा चूल्हा, च्यूरा से बनेगा बायो डीजल, आईआईपी की ये तकनीक आएगी काम


चंपावत। तकनीक के इस्तेमाल से चंपावत को आदर्श बनाने की पहल में भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) अहम कड़ी साबित होगा। आईआईपी जहां पिरूल का इस्तेमाल ईंधन के रूप में करने के लिए पैलेट्स-ब्रैकेट (छोटे-छोटे ब्लॉक) बनाएगा। वहीं च्यूरा से बायो डीजल बनाने पर भी काम करेगा। देहरादून स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) ने सोमवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी के विधानसभा क्षेत्र चंपावत में वन वीक-वन लैब कार्यक्रम के तहत ‘ग्राम चौपाल का आयोजन किया। बता दें कि ‘मिशन चंपावत के तहत यूकॉस्ट के महानिदेशक दुर्गेश पंत समन्वयक बनाया गया है। उन्होंने कई वैज्ञानिक संस्थानों को इसमें जोड़ा है। इसका उद्देश्य चंपावत के ग्रामीणों और काश्तकारों को वैज्ञानिक अनुसंधानों का सीधा लाभ पहुंचाना है। चंपावत के राउमावि मुंडियानी परिसर में सोमवार को आयोजित चौपाल में ग्रामीणों को समझाया गया कि किस तरह से आईआईपी में किए जा रहे प्रयोग उनके दैनिक जीवन को न सिर्फ आसान बना देंगे, बल्कि उन्हें रोजगार भी देंगे। प्रो. दुर्गेश पंत ने बताया कि चंपावत में जल्द साइंस सेंटर बनेगा, जिससे चंपावत के युवाओं की विज्ञान में रुचि बढ़ेगी। ग्रामीणों को आईआईपी की ओर से विकसित 15 फीसदी तक गैस की बचत करने वाला पीएनजी बर्नर भी दिखाया गया, जो बाजार में उपलब्ध हो चुका है।
बेकार पिरूल भी उपयोगी बनेगा:  चंपावत के डीएफओ आरसी कांडपाल ने बताया कि आठ हजार हेक्टेयर में फैले वन क्षेत्र में 61 फीसदी सिर्फ चीड़ के जंगल हैं। बड़ी मात्रा में चीड़ की पत्तियां हैं। इनके भरपूर उपयोग की जरूरत है। अन्यथा चीड़ की पत्तियां हर साल जंगलों में आग लगने का कारण बनती रहेंगी। आईआईपी के वैज्ञानिकों ने यहां चीड़ की पत्तियों से पैलेट्स और ब्रैकेट बनाने का सफल प्रयोग किया है। यह चीड़ की पत्तियों से बने छोटे-छोटे ब्लॉक होंगे, जो ईधन के रूप में काम आएंगे। आईआईपी के वैज्ञानिक डॉ. पंकज आर्य के अनुसार, पिरूल से बना कोयला पूरी तरह कार्बन उत्सर्जन मुक्त है। उन्नत बायोमास चूल्हा ईधन की खपत कई गुना तक कम करेगी। चंपावत में पैलेट्स-ब्रैकेट के आउटलेट्स लगाकर अच्छी खासी कमाई की जा सकती है।
च्यूरा बनेगा आय का जरियाल:  आईआईपी के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. मनोज श्रीवास्तव के मुताबिक, चंपावत में पाए गए च्यूरा (सीड) से बायोडीजल और बायो डीजल बनाने की अपार संभावनाए हैं। इस दिशा में हम काम कर रहे हैं। अगर यह संभव होता है तो यह आय का बड़ा जरिया बनेगा। डीएफओ कांडपाल के अनुसार, कोलेस्ट्रोल फ्री च्यूरा के 25 हजार पौधे इस साल चंपावत में लगाए जा रहे हैं। वहीं 60 हेक्टेयर क्षेत्र में तेजपात लगाया जा रहा है।
अगरबत्ती उद्योग की संभावना:  सीएसआईआर के पादक शोध संस्थान सीमैप लखनऊ से आए डॉ. पीपी गोथवाल, मनोज यादव ने ग्रामीणों को मंदिरों में चढ़ने वाले फूलों को ग्राइंड कर, जगत लकड़ी के पाउडर, मलेशियन वुड की तीलियों से अगरबत्ती बनाकर रोजगार शुरू करने का रास्ता बताया। रोजगारपरक इस उद्योग पर चंपावत ब्लॉक प्रमुख रेखा देवी गहन दिलचस्पी दिखाई और ग्रामीणों को भी इस दिशा में सोचने को प्रेरित किया।