सुरंग के भीतर श्रमिकों से एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरे के जरिए हुआ सम्पर्क
उत्तरकाशी। उत्तरकाशी टलन हादसे में 10वें दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। टनल में फंसे लोगों ने मंगलवार सुबह राहत की सांस ली जब रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे लोगों ने उनके साथ बातचीत हुई। दोनों ओर की तरफ से बात होने पर टनल में फंसे लोगों का हौसला भी बढ़ा। फंसे लोगों ने उम्मीद जताई कि जल्द ही उन्हें रेस्क्यू कर सकुशल बाहर निकाल लिया जाएगा। उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग के भीतर श्रमिकों से मंगलवार तड़के एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरे के जरिए सम्पर्क हुआ। छह इंच के पाइप को मलबे के पार पहुंचा कर इसमें कैमरा डाल श्रमिकों से सम्पर्क हो सका। इसी पाइप के जरिए श्रमिकों तक खाना भी पहुंचाया गया। सुरंग हादसे के दसवें दिन मंगलवार तड़के तीन बजकर 51 मिनट पर बड़ी सफलता मिली।
सोमवार देर रात छह इंच का पाइप मलबे को पार कर पहुंचा दिया गया था। इसके बाद मंगलवार तड़के फ्लेक्सी कैमरा सुरंग के दूसरे हिस्से मलबे के पार पहुंचाया गया। कैमरे में सभी श्रमिकों को देख राहत की सांस ली गई। बाकायदा सभी की विडियो के जरिए गिनती की गई। एक एक श्रमिक का नाम लेकर तस्दीक की गई। बाहर से कैमरे के जरिए जो भी दिशा निर्देश दिए गए, उन्हें श्रमिक मानते नजर आए। इससे साफ हो गया कि टनल के भीतर फंसे श्रमिकों को बाहर से जो कुछ भी कहा जा रहा है, वो उन्हें पूरा सुनाई दे रहा है। कैमरे के जरिए सुरंग के भीतर की स्थिति को एक्सपर्ट ने देखा। सुरंग के भीतर मलबे के ढेर की दूसरी ओर की स्थिति को भी परखा गया। मलबे की हाइट, भीतर टनल में दर्ज प्वाइंट का भी ब्यौरा भी एक्सपर्ट ने जुटाया। श्रमिकों को भरोसा दिलाया कि अब बेहद कम समय के भीतर ही उन्हें टनल के भीतर से बाहर निकाल लिया जाएगा। छह इंच के पाइप से ही श्रमिकों के लिए खाना भी पहुंचाया जा रहा है। पहले दिन छोटी बोतलों में भरकर खिचड़ी पहुंचाई गई। इस नए डेवलपमेंट से श्रमिकों में हौसला बंधा। अब जल्द श्रमिकों के बाहर आने की उम्मीद बढ़ गई है। सचिव आपदा रंजीत सिन्हा ने बताया कि श्रमिकों का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। उनके खाने का पूरा इंतजाम रखा जा रहा है।
बोतलों में भरकर पाइप से भेजी खिचड़ी
उत्तरकाशी में सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को नौ दिन बाद पका भोजन नसीब हुआ। सोमवार को सुरंग में आर पार किए गए छह इंच के नए पाइप के जरिये मजदूरों को प्लास्टिक की 24 बोतलों में भरकर खिचड़ी भेजी गई। फंसे मजदूर नौ दिन से चने और सूखे मेवे खाकर तंग आ गए थे और पका हुआ खाना भेजने का आग्रह कर रहे थे। बता दें सिलक्यारा सुरंग में मलबा आने से फंसे 41 मजदूरों को पानी की लाइन के लिए लगी चार इंच की पाइप से सूखे मेवे भेजे जा रहे थे। इसमें चने, काजू, किशमिश, बादाम शामिल थे। पानी और ऑक्सीजन भी इसकी पाइप से सप्लाई किए जा रहे थे। इस पाइप की चौड़ाई कम होने से अंदर फंसे 41 लोगों के लिए पका हुआ खाना पहुंचा पाना मुश्किल हो रहा था।
ऐसे में एस्केप टनल बनने तक मजदूरों के लिए लाइफ सपोर्ट बढ़ाने को एक और छह इंच का पाइप सोमवार शाम को मलबे के आरपार किया गया। इस पाइप से पहली बार मजदूरों के लिए पका खाना पहुंचाया गया। डॉक्टरों की सलाह पर श्रमिकों को अभी हल्का पका खाना ही दिया जाएगा।