प्रयागराज कुम्भ में उत्तराखंडवासियों को आमंत्रित किया, कुंभ 15 जनवरी से
देहरादून ( आखरीआंख समाचार ) उत्तर प्रदेश के चिकित्सा एवं प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ‘गोपालजी’ ने देहरादून में प्रयागराज कुम्भ-2019 का नया ‘लोगो’ लाॅन्च किया और कहा कि कुम्भ भारत की महान परम्परा का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा कि 15 जनवरी से प्रयागराज में प्रारम्भ हो रहे कुम्भ के माध्यम से सर्वसाधारण को अपने अतीत के साथ एक बार फिर जुड़ने का अवसर प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि कंुभ के भव्य व दिव्य आयोजन को सरकार प्रतिबद्ध है।
यहां राजपुर रोड स्थित एक होटल में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के प्रयासों से जनमानस की भावनाओं के अनुरूप प्रयागराज नाम बदलकर इसकी ऐतिहासिक एवं पौराणिक प्रतिष्ठा को स्थापित किया गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयास से यूनेस्को द्वारा कुम्भ की महत्ता को देखते हुए इसे ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ की सूची में सम्मिलित किया गया है। कुम्भ का शुभारम्भ गंगा की पूजा से होता है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से जनमानस की भावनाओं के अनुरूप प्रयागराज नाम बदलकर इसकी ऐतिहासिक एवं पौराणिक प्रतिष्ठा को स्थापित किया गया है। उनके नेतृत्व में प्रयाग कुम्भ-2019 के सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा व्यापक प्रबन्ध किये जा रहे हैं। राज्य सरकार का प्रयास है कि कुम्भ में आने वाले सभी तीर्थ यात्रियों को श्रद्धा और भक्ति से आप्लावित माहौल प्राप्त हो। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के सम्मिलित प्रयासों से इस कुम्भ में 5 हजार से ज्यादा प्रवासी भारतीय भी आएंगे। सम्पूर्ण विश्व में मानवता के इस विशालतम समागम में भारत के 6 लाख से अधिक गावों के लोगों सहित विश्व से आने वाले श्रद्धालु भी इसमें प्रतिभाग करेंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों एवं भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के सहयोग से साढ़े चार सौ वर्षों में प्रथम बार कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं को ‘अक्षय वट’ और ‘सरस्वती कूप’ के दर्शन का अवसर सुलभ होगा। कुम्भ का आयोजन त्रिवेणी संगम पर होता है किन्तु इसका सम्बन्ध सम्पूर्ण प्रयागराज क्षेत्र से है। इसके दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा कुम्भ से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित सभी स्थलों का सौन्दर्यीकरण कराया गया है। कुम्भ में श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों की सुविधा के लिए जल, थल और नभ से आने की पहली बार व्यवस्था की गयी है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कुम्भ के भव्य और दिव्य आयोजन के लिए कटिबद्ध है। राज्य सरकार द्वारा इस आयोजन की प्रकृति के अनुरूप प्रयागराज कुम्भ-2019 का नया ‘लोगो’ भी लाॅन्च किया जा चुका है। राज्य सरकार द्वारा इस कुम्भ में श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बेहतर सुविधा तथा इस आयोजन में उनके सुखद अनुभव को विशेष प्राथमिकता दी गयी है। राज्य सरकार द्वारा कुम्भ के आयोजन को भारत की सनातन और समावेशी संस्कृति का प्रतिनिधि आयोजन बनाने की परिकल्पना प्रयागराज में साकार की जा रही है। कुम्भ के माध्यम से भारतीय संस्कृति के उन्नत जीवन, आचार और विचार से दुनिया को परिचित कराने का प्रयास इस आयोजन का लक्ष्य है। प्रयागराज में हर छः वर्ष बाद कुम्भ का आयोजन होता है और हर वर्ष माघ मेला लगता है। विकास की प्रक्रिया यहां निरन्तर चलती रहे, इसके लिए राज्य सरकार द्वारा प्रयागराज मेला प्राधिकरण का गठन किया गया है। कुम्भ कार्यों में 671 जनकल्याणकारी परियोजनाओं पर डेढ़ वर्ष में काम पूरा कराया गया है, जिनमें अधिकांश परियोजनायें स्थायी विकास कार्यों से जुड़ी हैं। राज्य सरकार द्वारा स्थायी विकास की विभिन्न परियोजनाओं के साथ कुम्भ मेला 2019 हेतु 2800 करोड़ रुपये प्राविधानित किये गये। इसके अलावा अन्य बजट से कुल मिलाकर 4300 करोड़ रुपये से कुम्भ मेला और प्रयागराज में स्थायी विकास के कार्य कराये जा रहे हैं। इससे कुम्भ के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं को काफी सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि कुम्भ में आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए राज्य सरकार द्वारा 9 फ्लाईओवर विगत मात्र डेढ़ वर्ष में बनाकर प्रयागराज को आधुनिक एवं सुगम यातायात की सुविधा दी गई है। प्रयागराज नगर क्षेत्र में मा0 उच्च न्यायालय के सामने एक ही पिलर पर 4-लेन चैड़ाई में 1325 मीटर लम्बे फ्लाईओवर का निर्माण कार्य 14 माह की अल्प अवधि में पूर्ण कर सेतु निगम द्वारा उत्तर प्रदेश में एक कीर्तिमान स्थापित किया गया है। इसी प्रकार रामबाग में 16.00 मीटर की ऊंचाई पर 1.0 किमी. की लम्बाई में आर0ओ0बी0 का निर्माण एक वर्ष में पूरा कर कीर्तिमान स्थापित किया गया है। नगर के सघन आबादी क्षेत्रों में 6 डॉट के पुल (रेलवे अण्डरपास) केवल एक वर्ष के भीतर 4-लेन तक चैड़े कर दिये गये, जिससे प्रयागराज के आम नागरिकों का नगरीय यातायात सुगम हो गया है। राज्य सरकार ने कुम्भ के सुचारु संचालन के दृष्टिगत प्रयागराज में प्रथम बार 64 से अधिक यातायात चैराहों तथा मेले को जोड़ने वाली 264 सड़कों का वृहद स्तर पर चैड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण पिछले डेढ़ वर्षों में किया है। कुम्भ के दृष्टिगत प्रयागराज नगर के चिकित्सालयों में आधुनिक चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता बढ़ायी गयी है तथा चिकित्सा सुविधाओं का विकास कर नये संयंत्रों की स्थापना की गयी है।
राज्य सरकार द्वारा इस वृहद आयोजन के स्थायी निर्माण कार्यों में शुचिता और पारदर्शिता का व्यापक एवं अभूतपूर्व प्रबन्ध कर सभी प्रमुख कार्यों की थर्ड पार्टी माॅनीटरिंग से कार्य की गुणवत्ता एवं समयबद्धता पर दृष्टि रखी गयी। समस्त परियोजनाओं में प्रगति की माॅनिटरिंग आॅनलाइन करते रहने की व्यवस्था बनायी गयी थी, जिससे सभी नये स्थायी कार्य समय से तथा गुणवत्ता के साथ पूरे हो सकें। राज्य सरकार के प्रयासों से विशाल मेला क्षेत्र में एक नये नगर की स्थापना की जा रही है, जिसमें 250 किलोमीटर सड़कें तथा 22 पाण्टून पुल होंगे। यह विश्व का सबसे बड़ा अस्थायी नगर होगा। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन के दृष्टिगत प्रयागराज में ऊर्जा विद्युत अवस्थापनाओं को सुदृढ़ करते हुए विद्युत उपलब्धता को और कारगर बनाया गया है। प्रथम बार मेला क्षेत्र में 40,000 से अधिक एलईडी लाइट लगाकर मेला क्षेत्र को दूधिया रोशनी से जगमग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार देश के हर हिस्से से लोगों की भागीदारी इस सांस्कृतिक आयोजन में सुनिश्चित करने के लिए हर प्रदेश से लोगों को यहां लाने का प्रयास कर रही है। देश के हर सांस्कृतिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व इस कुम्भ मेले में देखने को मिलेगा। सांस्कृतिक कार्यक्रम, खान-पान, उत्सव के साथ-साथ इस देश की प्राचीनतम सांस्कृतिक धरोहर पर आधारित आयोजन भी यहां कुम्भ में देखने को मिलेंगे। एक नया भारत प्रयागराज में बसने जा रहा है।
केन्द्र सरकार ने प्रयागराज में नया हवाई सिविल टर्मिनल निर्मिंत कर प्रमुख हवाई उड़ानों की संख्या में ऐतिहासिक वृद्धि सुनिश्चित की है। प्रयागराज को देश के कई प्रमुख महानगरों यथा बैंगलुरू, इन्दौर, नागपुर, पटना आदि नगरों से हवाई मार्ग से जोड़ने में सफलता प्राप्त की गयी है। यहां पर हेलीपोर्ट भी स्थापित हो रहा है। पर्यटकों के लिए हेलीकाॅप्टर ज्वॉय राइड की व्यवस्था भी की जा रही है। इस अवसर पर सीआईआई के प्रदेश अध्यक्ष डा. विजय धस्माना भी मौजूद रहे।