पानी के मीटरों का इस्तेमाल न करने पर शासन भी नाराज
देहरादून । जल संस्थान की ओर से खरीदे गए करोड़ों के पानी के मीटर को डंप किए जाने से शासन भी नाराज है। शासन स्तर से जल संस्थान मैनेजमेंट को पूर्व में भी शासन स्तर से जारी होने वाले बजट को जरूरत के अनुसार ही खर्च किए जाने के निर्देश दिए गए थे। मीटर का इस्तेमाल न करने पर शासन स्तर से पूर्व में भी नाराजगी जताई गई थी।
शासन स्तर से जारी होने वाले बजट को जल संस्थान की ओर से अलग अलग मदों में खर्च किया जाता है। पिछले कुछ सालों में जल संस्थान ने इस बजट को उन कामों पर खर्च किया, जिनकी फिलहाल कोई जरूरत नहीं थी। वॉटर मीटर लगाने वाली कंपनियों का कारोबार चमकाने को बिना किसी तैयारी के एक सिरे से पहले सामान्य वॉटर मीटर खरीदे गए। अब स्मार्ट मीटर की खरीद के नाम पर एकबार फिर बजट ठिकाने लगाया जा रहा है। इसके साथ ही सेंटर स्टोर में बिना जरूरत के बड़ी संख्या में सामान खरीद कर डंप किया जा रहा है।
एक ओर जल जीवन मिशन में ग्रामीण पेयजल योजनाओं का काम हो रहा है। भविष्य में योजनाओं का संचालन ग्राम सभाओं के स्तर से होना है। शहरों में पेयजल योजनाओं का काम वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट, अमृत योजनाओं, जायका प्रोजेक्ट के तहत हो रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जल संस्थान मैनेजमेंट ने पिछले कुछ सालों में सेंटर स्टोर की खरीद पर करोड़ों का बजट क्यों खर्च कर दिया। ऐसे में अब मीटर खरीद को लेकर उठ रहे सवालों पर जल संस्थान मैनेजमेंट फिर शासन के निशाने पर आ गया है। सचिव अरविंद सिंह हंयाकी ने साफ किया कि जल संस्थान को बता दिया गया है कि जो भी मीटर खरीदे गए हैं, उनका इस्तेमाल किया जाए।
सालाना मेंटनेंस के नाम पर भी बजट की बंदरबांट
पेयजल योजनाओं के रखरखाव के नाम पर भी जल संस्थान की ओर से सालाना करोड़ों का बजट खर्च किया जाता है। ये बजट जल संस्थान मैनेजमेंट अपने सभी डिवीजनों में बराबर बांटने की बजाय चुनिंदा खास डिवीजनों तक ही सीमित रख रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या पेयजल योजनाओं में रखरखाव की जरूरत सीमित डिवीजनों को ही पड़ रही है। मेंटनेंस पर खर्च होने वाला बजट भी सवालों के घेरे में है।
खरीद, मेंटनेंस पर होने वाले खर्च की हो जांच
सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता वीरू बिष्ट ने जल संस्थान की सेंटर स्टोर की खरीद और सालाना मेंटनेंस पर खर्च होने वाले बजट की जांच की मांग की। कहा कि जनता से पानी के बिलों के रूप में लिए जाने वाले शुल्क और शासन स्तर से जारी होने वाले बजट को अनावश्यक खरीद पर खर्च कर नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इस बजट खर्च की विस्तृत जांच की जाए।