September 21, 2024

विधायकों की पेंशन समाप्ति एवं सीएम के खनन घोटाले की सीबीआई जाँच हो

देहरादून ( आखरीआंख समाचार ) विधायकों की पेंशन समाप्ति एवं मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र रावत के खनन घोटाले की सी0बी0आई0 जाँच कराये जाने की माँग को लेकर जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी एवं मोर्चा महासचिव आकाश पंवार ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। राज्यपाल ने कार्यवाही का भरोसा दिलाया।
नेगी ने कहा कि प्रदेश पर लगभग 40-50 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज बकाया है तथा त्रिवेन्द्र सरकार अपने पौने दो साल के कार्यकाल में लगभग 12 हजार करोड़ रूपये लगभग 8.5 फीसदी ब्याज पर कर्ज ले चुकी है तथा कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए सरकार कर्ज ले रही है तो ऐसी हालत में विधायकों को पेंशन, इस गरीब प्रदेश को और चैपट कर रही है। हैरानी की बात यह है कि पूर्व विधायकों को वर्ष 2008 में 6 हजार, वर्ष 2010 में 10 हजार, वर्ष 2014 में 20 हजार तथा 2018 में त्रिवेन्द्र रावत की दरियादिल सरकार ने 40 हजार रूपये कर दी है। इसके साथ-साथ पेंशन मामले में उम्र के हिसाब से अलग-अलग पायदान बनाये गये हैं, जिसमें 65 वर्ष के पश्चात् 5 फीसदी, 70 वर्ष के पश्चात् 10 फीसदी, 75 के पश्चात् 25 फीसदी तथा 80 वर्ष के उपरान्त 50 फीसदी अतिरिक्त पेंशन की व्यवस्था है।
उक्त के साथ-साथ मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र रावत जिनके पास खनिज मन्त्री का प्रभार भी है, ने सत्ता सम्भालते ही 40-45 दिन के अन्तराल में प्रदेश में पूर्व से स्वीकृत समस्त प्रकार के खनन पट्टे/स्टोन क्रशर आदि को 9 मई 2017 को निलम्बित कर दिया था तथा फरमान जारी किया कि इनका परीक्षण कर एक माह के भीतर कमेटी शासन को रिपोर्ट सौंपे। इस फरमान की आड़ में आठ महीनों तक प्रदेश में खनन कारोबार बन्द रहा तथा वर्षों पूर्व स्वीकृत पट्टे भी अघोषित रूप से बन्द रहे। सरकार द्वारा अपने पूर्व आदेश 9 मई 2017 को यह कहकर 3 जनवरीर .2018 को निरस्त कर दिया कि कमेटी परीक्षण करने में असमर्थता जता रही है। उल्लेखनीय है कि परीक्षणीय कमेटी के सदस्य केन्द्रीय मृदा एवं जल संरक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, देहरादून ने मात्र 48 घण्टे के भीतर परीक्षण करने में असमर्थता जता दी थी, लेकिन सरकार ने उक्त पत्र को दबाये रखा, जिससे प्रदेश को सैकड़ों करोड़ के राजस्व की हानि हुई तथा माफियाओं ने हजारों करोड़ का काला कारोबार इन आठ महीनों में किया। इस परीक्षण की आड़ में सी0एम0 त्रिवेन्द्र रावत ने सैकड़ों करोड़ की डील कर डाली थी।