हंस फाउंडेशन ने ग्राम विकास एवं छात्रों के उत्थान के लिए प्रदान किया सहयोग
देहरादून ( आखरीआंख समाचार ) पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों में विकास की अलख जलती रहे। हमारे नौनीहाल अच्छी शिक्षा ग्रहण कर अपनी जीवन यात्रा में आगे बढ़े। हमारा यही प्रयास है। हम अपनी सेवाओं के माध्यम से पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य-शिक्षा से लेकर लोक संस्कृति एवं लोक परंपराओं के संरक्षण के लिए प्रयासरत है। उक्त विचार माताश्री मंगलाजी ने विकास खण्ड पोखड़ा, जिला पौड़ी गढ़वाल में पहली बार आयोजित पोखड़ा महोत्सव में व्यक्त किए।
विकासखण्ड पोखड़ा,जिला पौड़ी गढ़वाल में पहली बार आयोजित पोखड़ा महोत्सव में पहुंचे माता मंगला जी एवं श्रीभोलेजी महाराज जी ने ग्रामीण विकास एवं कई स्कूलों एवं छात्र-छात्राओं को तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में निपुणता प्रदान करने के लिए कम्प्यूटर एवं जरूरी सामान प्रदान किया। साथ ही दो सरस्वती विद्या मंदिर स्कूलों के बच्चों के स्कूल आवागमन के लिए स्कूल बस भेंट की। इस मौके पर माताश्री मंगला जी ने कहा कि हंस फाउण्डेशन द्वारा संचालित द्वाराहाट के धर्मा गांव, गरूड़ के पुरोडा गांव, घाट के कुमजुंग गांव व एकेश्वर ब्लॉक के बरेथ मल्ला में पेयजल परियोजनाओं का शुभारम्भ जल्द होने जा रहा है। पोखड़ा महोत्सव में शामिल हुए हजारों लोगों को संबोधित करते हुए माता मंगला जी ने कहा कि मुझे आपको बताते हुए खुशी हो रही है कि हंस फाउण्डेशन द्वारा उत्तराखण्ड के 100 गांवों में 83 योजनाएं संचालित की जा रही है जिसके माध्यम से 4429 घरो में लगभग 22000 लोग लाभान्वित हो रहे हैं। उक्त पेयजल योजनाओं में 11 पम्प बेस्ड है तथा शेष ग्रेविटी बेस्ड पेयजल योजनाएं है। पौड़ी जिले के जहरीखाल ब्लॉक के 16 गांवों में भी उक्त पेयजल योजनाओं का द्वितीय चरण आरम्भ हो चुका है। हमारे बच्चे तकनीक शिक्षा से जुड़कर अपने भविष्य निर्माण में आगे बढ़े इसके लिए फाउण्डेशन द्वारा अपग्रेडेड 10 स्कूलों में 20 स्मार्ट क्लासेज का शुभारम्भ किया जा रहा है।
हंस फाउण्डेशन के तत्वावधान में राज्य में 95 मॉडल स्कूल विकसित किए गए है। राज्य सरकार व हंस फाउण्डेशन मिलकर देहरादून के केदारपुरम स्थित नारी निकेतन रहने वाली महिलाओं को मुख्यधारा से जोड़ने हेतु कम्युनिटी हाउसिंग की योजना पर कार्य करने जा रहे है। पिथौरागढ़ में 2.5 करोड़ रूपये की लागत से आईसीयू स्थापित हो चुका है तथा पौड़ी में आईसीयू जल्द आरम्भ होगा। हंस फाउण्डेशन द्वारा देहरादून, रूड़की, काशीपुर, रूद्रपुर, सितारगंज, नैनीताल व हरिद्वार में सात सेन्ट्रलाइज किचन बनाई जा रही है। काशीपुर व सितारगंज में सेन्ट्रलाइज किचन के लिए सरकार द्वारा भूमि आवंटित कर दी गई है। इससे लगभग तीन लाख विद्यार्थियों को लाभ पहुचेगा। इसी के साथ राज्य के 5519 स्कूलों में गैस कनेक्शन पहुंचाए गए है तथा 865 स्कूलों में गैस स्टोव पहुँचाए जा रहे है। राज्य में 21 मेडिकल मोबाइल यूनिट के माध्यम से लगभग 5 लाख मरीजों को लाभ पहुचाया जा रहा है। हल्द्वानी व दून मेडिकल कॉलेज को एक-एक मेमोग्राफी वेन उपलब्ध करवाई गई है।
इसी के साथ हम शिवंश खाद के माध्यम से हम किसानों को जैविक खेती के लिए भी प्रोत्साहित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। शिवंश खाद एक मुफ्त मे बनने वाली खाद है जो बंजर जमीन को लहलहाते खेत में बदल देती है, जिससे किसानों की रसायनों पर निर्भरता कम हो जाती है और उनका मुनाफा बढ़ जाता है। शिवंश खाद जो खेतों में पड़े सूखे पत्ते, ताजा घास, फसल के अवशेष, गोबर को उन्हें इकठ्ठा कर के एक ढेर में डाल कर बनायी जाती है। हर दूसरे दिन ढेर को पलटने के अलावा सारे काम प्रकृति खुद कर देती है। यह खाद 18 दिनों के बाद हमें मिलती है जो सूक्ष्मजीवों से भरी हुई एक पोषक खाद है। शिवंश खाद का खेतों में इस्तेमाल पहले सीजन में ही बंजर मिट्टी को फिर से जीवित कर देता है। शिवंश खाद दुनिया भर के किसानों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है। इस दिशा में हमने देश भर 14 सौ और उत्तराखंड में लगभग 350 शिवंश खाद बनने की प्रक्रिया सिखायी है। जो इस खाद के माध्यम से अपनी फसलों को नया जीवन तो दे ही रहे हैं। साथ ही जैविक खेती का लाभ भी ले रहे हैं। हंस बाल आरोग्य कार्यक्रम की बात करे तो इसके तहत 1305 बच्चों को कैंसर, किडनी सम्बन्धित गम्भीर बीमारियों के उपचार हेतु सहायता दी गई है। माताश्री मंगला जी लोगों से आह्वान किया कि हंस जरनल अस्पताल सतपुली में हम सुपर स्पेशलिटी कैंप का आयोजन करने जा रहे हैं। इस कैंप में बड़ी से बड़ी बीमारियों के इलाज के लिए देश के स्पेशलिस्ट डाक्टर उपलब्ध होंगे। आप इस कैंप में बड़ी संख्या में पहुंचकर हर तरह की बीमारी का इलाज करवा सकते हैं। इस मौके पर माताश्री मंगला जी ने कहा कि हम देश में स्वास्थ्य-शिक्षा के क्षेत्र में जो कार्य कर रहे हैं। उसका सीधा फायदा उन लोगों को प्राप्त हो जिन्हें वास्तव में मदद की आवश्यकता है। इससे बढ़ कर हमारे लिए खुशी और क्या हो सकती है। हम देश के दूसर ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे हैं स्कूल तक तकनीक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहे हैं। ताकि इन स्कूलों में शिक्षक ग्रहण करने के वाले बच्चे आज की तकनीक को जानकर दुनिया में आगे बढ़ सके। माता मंगला जी ने कहा कि ठीक इसी तरह हम ग्रामीण विकास के क्षेत्र में काम कर रहे हैं ताकि हमारी माता-बहनों के जीवन स्तर सुधार आ सके।