बंगाल में एसआईआर ने 28 लोगों के निगल लिया: ममता बनर्जी
एसआईआर की काम कर रही बीएलओ की खुदकुशी पर फूटा मुख्यमंत्री का गुस्सा
कोलकाता । पश्चिम बंगाल में सत्तारुढ़ तृणमूल के आरोपों के अनुसार मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर बंगाल में मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है जोकि बेहद चिंता का विषय है। आज पार्टी प्रमुख व राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि,
एसआईआर से जुड़े एक और बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) शांति मुनि उरांव (48) ने आज आत्महत्या कर ली। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस प्रक्रिया को अमानवीय बताते हुए बंगाल में अबतक 28 मौतों का दावा किया है। उन्होंने उक्त घटनाओं के मद्देनजर चुनाव आयोग से एसआईआर की प्रक्रिया समाप्त करने की मांग की है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मालबाजार में एक बीएलओ की मौत पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, “मैं इस घटना से स्तब्ध हूं. एसआईआर के लिए काम करते हुए एक बीएलओ ने आत्महत्या कर ली। एसआईआर शुरू होने के बाद से अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है।” एसआइआर लागू होने के बाद कई लोगों ने कथित तौर पर निर्वासित होने के डर से आत्महत्या कर ली है। यह स्थिति बेहद दुखद है और समाज में अस्थिरता पैदा कर रही है। स्थानीय स्तर पर यह भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) पर अत्यधिक काम का दबाव डाला जा रहा है, जिसके कारण वे मानसिक तनाव में आकर आत्महत्या कर रहे हैं। सीएम के अनुसार, वह महिला बीएलओ आंगनबाड़ी में काम करती थी और एसआइआर का इतना दबाव नहीं झेल सकी।” ममता ने आरोप लगाया कि आयोग ने बिना योजना के काम शुरू किया है, जिसके कारण कार्यकर्ताओं पर असहनीय दबाव पड़ रहा है और अनमोल जानें जा रही हैं। ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि जिस काम को पूरा करने में पहले तीन साल लगते थे, उसे अब राजनीतिक कारणों से मात्र दो महीने में पूरा करने का दबाव डाला जा रहा है। उन्होंने इसे “अतिवादी निर्णय” करार दिया और कहा कि इस जल्दबाजी के कारण आम नागरिकों और कर्मचारियों की जान पर बन आई है। सीएम ममता के निर्देश पर राज्य के मंत्री बुलुचिक बड़ाइक मृतक बीएलओ के घर गए। उन्होंने मृतका के परिजनों से बात की और हर तरह से मदद की बात कही। बहरहाल जो भी हो मुख्यमंत्री ने चुनाव आयोग से स्थिति को संभालने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि आयोग को चाहिए कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करे और कार्यकर्ताओं पर पड़ रहे दबाव को कम करे। ममता ने चेतावनी दी कि यदि आयोग ने समय रहते कार्रवाई नहीं की, तो राज्य में और भी गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
