December 5, 2025

सोनिया गांधी ने मोदी सरकार को लिया आड़े हाथ, कहा- पहाड़ियों के लिए डेथ वॉरेंट है यह


नई दिल्ली । देश की राजधानी दिल्ली और उससे सटे इलाकों में प्रदूषण का प्रकोप जारी है. हर कोई इससे परेशान और त्रस्त है. इसी सिलसिले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए एक लेख लिखा है. इस लेख के जरिए उन्होंने अरावली की पहाड़ियों से लेकर एयर और जल प्रदूषण पर गहरी चिंता जताई है. उन्होंने अपने लेख में अरावली को अवैध खनन (100 मी. से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों पर खनन की छूट मिली है) से जो क्षति पहुंच रही है, उसे माफियाओं के लिए न्योता देना बताया.
वहीं, सोनिया गांधी ने इसे पहाड़ियों के लिए डेथ वॉरंट तक कहा है. बता दें, देश की सर्वोच्च अदालत ने पिछले महीने 20 नवंबर को अरावली पहाड़ियों की केंद्र की परिभाषा को मानते हुए कहा कि इस रेंज में 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली कोई भी पहाड़ी माइनिंग के खिलाफ सख्ती के दायरे में नहीं आएगी. कांग्रेस पार्टी ने एक दैनिक समाचार पत्र में सोनिया गांधी के लेख का एक हिस्सा शेयर किया.
सोनिया ने लेख में लिखा कि अरावली रेंज, जो गुजरात से राजस्थान होते हुए हरियाणा तक जाती है, ने लंबे समय से भारतीय भूगोल और इतिहास में अहम भूमिका निभाई है. मोदी सरकार ने अब इन पहाड़ियों के लिए लगभग डेथ वारंट पर साइन कर दिया है, जो पहले से ही गैर-कानूनी माइनिंग से खाली हो चुकी हैं. उन्होंने आगे लिखा कि यह गैर-कानूनी माइनर्स और माफियाओं के लिए सरकार द्वारा तय की गई ऊंचाई की लिमिट से नीचे की 90 परसेंट रेंज को खत्म करने का खुला न्योता है. सरकारी पॉलिसी बनाने में पर्यावरण को लेकर गहरी और लगातार अनदेखी हो रही है.
इसके अलावा, सोनिया गांधी ने जंगलों की कटाई और स्थानीय समुदायों को जंगलों से निकालने को वाइल्डलाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट, 1972 की भावना का उल्लंघन बताया. सोनिया गांधी ने पॉलिसी लेवल पर बदलाव की मांग की और केंद्र से फॉरेस्ट (कंजर्वेशन) एक्ट, 1980 और फॉरेस्ट कंजर्वेशन रूल्स, 2022 में किए गए बदलावों को वापस लेने को कहा है. इससे पहले 20 नवंबर को, भारत के पूर्व चीफ जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट, फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज के अनुसार अरावली पहाड़ियों और रेंज की परिभाषा को स्वीकार करते हुए एक आदेश सुनाया था.
सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों में सस्टेनेबल माइनिंग के लिए सिफारिशें और गैर-कानूनी माइनिंग को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों को भी माना है. तीन जजों की बेंच ने मंत्रालय को सस्टेनेबल माइनिंग के लिए एक मैनेजमेंट प्लांट तैयार करने का निर्देश दिया, ताकि अरावली लैंडस्केप में माइनिंग के लिए मंजूर इलाकों, इकोलॉजिकली सेंसिटिव, कंजर्वेशन-क्रिटिकल और रेस्टोरेशन-प्रायोरिटी वाले इलाकों की पहचान की जा सके, जहां माइनिंग पूरी तरह से मना होगी या सिर्फ खास और साइंटिफिक रूप से सही हालात में ही इजाजत दी जाएगी.