हिन्दी जब तक पूरे राष्ट्र की भाषा नहीं तब तक हिन्दी को पूरा सम्मान नहीं मिल सकताः ओमप्रकाश पाण्डेय
हरिद्वार, ( आखरीआंख ) गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के वेद विभाग द्वारा राष्ट्रिय संगोष्ठी को ‘‘वैदिक वांगमय-परम्परागत आधुनिक विज्ञानर्योर्मूलम’’ विषय पर आयोजित हुयी। संगोष्ठी के समापन समारोह के मुख्य अतिथि डा0 ओमप्रकाश पाण्डेय ने कहा कि वेदों को समझना तो संस्कृत और व्याकरण का अध्ययन करना चाहिए। संस्कृत और संस्कृति को बचाना है तो वेदों को संरक्षण करना होगा। वेदों में ग्रहों की चाल को जान सकते हो। प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँच में तीन मिनट अठारह सैकेंड लगते है यह सब वेदों में लिखा हुआ है। उसी प्रकार से वेदों में स्वर और व्यंजन के बारे में वैज्ञानिकता के आधार पर बताया गया है। ब्रह्माण्डीय भाषा संस्कृत है। अंग्रेजी भाषा सम्पर्क भाषा है। इसलिए हिन्दी पूरे राष्ट्र की भाषा नहीं होगी तब तक हिन्दी भाषा को पूरा सम्मान नहीं मिल सकता।
समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रो0 एम0आर0 वर्मा ने कहा कि वेदों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करना है तो वेदों का यूरोपीय और एशियाई भाषा में अनुवाद होना जरूरी है। आज जर्मनी में वेदों को लेकर उच्च स्तरीय शोध कार्य चल रहा है। जबकि वेद भारत की धरोहर है, वेदों पर हमारा वर्चस्व है। वेद को स्थापित करने के लिए वेदों का अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद होना चाहिए। तब ही वेद अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर पुनः स्थापित होंगे। वेद के मर्मज्ञों को इस दिशा में भाषाओं का सम्प्रेषण करना अत्यन्त आवश्यक है। वर्तमान का युवा इस दिशा में तभी लौटेगा जब वेद विज्ञान की शक्ल में सबको दिखाई देंगे।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो0 दिनेश चन्द्र भट्ट ने कहा कि वेदों में पशु-पक्षियों का भी वर्णन भी देखनें को मिलता है। उनकी भाषाओं के बारे में वेद में विस्तार से दिया गया है। जिस तरह से मनुष्य स्वर को बोलने में प्रयोग करता है उसी प्रकार से पक्षी भी गीत संगीत में स्वर का प्रयोग करते हैं। आज डा0 भट्ट ने एक स्लाइट के द्वारा पक्षियों की बोलियों का वर्णन किया।
समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि चेतन ज्योति आश्रम के मुख्य पीठाधीश्वर महन्त ऋषिश्वरानन्द महाराज ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय देश और दुनिया में वेद के नाम से जाना जाता है। यहां आकर यह एहसास हो रहा है कि वेदों का भारत के अलावा भी अन्य देशों में अध्ययन होना चाहिए। वेद हमारी आधुनिक विज्ञान है। अखिल भारतीय संत समिति के प्रवक्ता बाबा हठयोगी ने कहा कि वेदविज्ञान की वह धरोहर है जिनसे सब कुछ खोजा जा सकता है। विज्ञान की नई-नई तकनीकियों का उल्लेख वेदों में मिलता है। मगर वेद आज एक ग्रन्थों के रूप में देखें जा सकते हैं। दिल्ली आर्य समाज से आए ठाकुर विक्रम सिंह ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय आर्य समाज की सबसे बड़ी संस्था है। इस संस्था में संस्कारों की पाठशाला दिखाई पड़ती है। स्वदेशी फार्मेसी के निदेशक डा0 विनोद आर्य ने कहा कि दयानन्द सरस्वती के मार्गों पर चलने वाला यह विश्वविद्यालय पूरे विश्व में इकलौता है। वेद, दर्शन और संस्कृत को समझना है तो गुरुकुल की माटी का चन्दन करें।
इस अवसर पर नवीन वेदालंकार और अंकुर का शाॅल उड़ाकर सम्मान किया गया। इसी क्रम में प्रो0 भारत भूषण का भी सम्मान किया गया। इस अवसर पर प्रो0 सोमदेव शतांशु, प्रो0 पी0पी0 पाठक, प्रो0 मनुदेव, डा0 वीना विश्नोई, प्रो0 सुचित्रा मलिक, डा0 शशांक, प्रो0 वी0के0 सिंह, डा0 दीनदयाल, डा0 प्रदीप, संदीप इस संगोष्ठी में 150 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। संगोष्ठी का संचालन प्रो0 दिनेशचन्द्र शास्त्री ने किया।