नेपाल में अश्वमेध गायत्री महायज्ञ सम्पन्न, विकास के लिए दी महायज्ञ में विशेष आहुतियाँ
हरिद्वार, ( आखरीआंख ) नेपाल के वीरगंज में शांतिकुंज द्वारा संचालित हो रहे अश्वमेध गायत्री महायज्ञ देवों की विदाई के साथ सम्पन्न हो गया। पांच दिन तक चले इस महायज्ञ में नेपाल व भारत के अलावा विभिन्न देशों के हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। महायज्ञ में नेपाल की सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्य बनाये रखने, विश्व की खुशहाली एवं विकास के लिए विशेष आध्यात्मिक अनुष्ठान किया गया। इस दौरान विशेष वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा-अर्चना व हवन भी किया गया। महायज्ञ में नेपाल के अनेक मंत्रीगण, अधिकारीगण, सेना के जवान के अलावा गणमान्य नागरिकों ने शिरकत की।
गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने बताया कि सृष्टि और समाज के बिगड़ते हुए संतुलन को संभालने के लिए ही वर्तमान अश्वमेधों की शृंखला चलाई जा रही हैं। यज्ञ विज्ञान के प्राचीन सूत्रों का यह एक आध्यात्मिक प्रयोग है। यज्ञ प्रक्रिया हमें सद्भावना को सत्कर्मों के रूप में परिणित करने की प्रेरणा देती है। उन्होंने बताया कि अश्वमेध महायज्ञों का उद्देश्य- राष्ट्र देवता के प्रति, जीवन मूल्यों के प्रति विश्वास जाग्रत करना, जिंदगी जीने की विधियों का शिक्षण देना है। उल्लेखनीय है कि गायत्री परिवार प्रमुखद्वय डॉ. पण्ड्या व शैलदीदी महायज्ञ के संचालन के लिए नेपाल से आज लौट आये।
शांतिकुंज से प्राप्त जानकारी के अनुसार के भारत के अलावा आस्ट्रेलिया, यूके, अमेरिका, कनाडा, साउथ अफ्रीका, न्यूजीलैण्ड में आश्वमेधिक अनुष्ठान सम्पन्न हो चुके हैं। इन महायज्ञ में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भागीदारी कर जीवन को सकारात्मक बदलाव की ओर आगे बढ़ा रहे हैं। शांतिकुंज से यज्ञाचार्यों की प्रशिक्षित टीम गयी थी। जिन्होंने महायज्ञ का संचालन किया। महायज्ञ के अंतिम दिन देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने युवा पीढ़ी मार्गदर्शन करते हुए सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। महायज्ञ में जीवन को सार्थक बनाने वाली विभिन्न कलाकृतियों की विशेष प्रदर्शनी भी लगाई गयी थी, जो आकर्षण का केन्द्र रहा।