September 20, 2024

वेदव्यास जी ने बद्रीनाथ में रहकर की श्रीमद् भागवत ग्रंथ की रचना

रुद्रप्रयाग,  ( आखरीआंख ) ग्राम-भौंसाल में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि श्रीमद्भागवत ग्रंथ पंचम वेद है। भगवान नारायण ने चार श्लोकों के रूप में ब्रह्मा को भागवत का ज्ञान दिया। ब्रह्मा ने देव ऋषि नारद को चार श्लोकों में भागवत का ज्ञान दिया और नारद ने वेदव्यास को।
नारद से चतुश्लोकी भागवत का ज्ञान प्राप्त करके वेदव्यास महाराज ने बद्रीनाथ में रहकर अठ्ठारह हजार श्लोक 12 स्कन्ध 335 अध्याय रूपी श्रीमद् भागवत ग्रंथ की रचना की और अपने पुत्र शुकदेव मुनि को श्रीमद्भागवत का ज्ञान दिया। जब राजा परीक्षित को श्राप लगा तो वे जल का त्याग करके गंगा के तट पर आए। उस समय सुखदेव मुनि ने श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण राजा परीक्षित को कराया और श्रीमद्भागवत कथा श्रवण से राजा परीक्षित को मोक्ष मिला। कथा व्यास भागवत आचार्य पंडित पवन शास्त्री ने बताया कि जो भी श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करता है उसको धर्म अर्थ काम मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि मनुष्य मृतक आत्माओं के निमित अपने पूर्वजों के निमित्त पितृ दोष के निवारण के लिए श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन करता है तो समस्त पित्रों को मोक्ष मिलता है। पंडित शास्त्री ने बताया कि मनुष्य मात्र सभी को श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन एवं श्रवण करना चाहिए। श्रीमद्भागवत कथा से भक्ति ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है। इस दौरान मुख्य जजमान मुखारी देवी पवार, दिग्विजय सिंह पवार, जगजीत सिंह पवार, प्रताप सिंह पवार, कमल सिंह पंवार, प्रहलाद सिंह, हर्षवर्धन सिंह, अरविंद सिंह, जितेंद्र सिंह, लक्ष्मण सिंह, विजय सिंह, वीर सिंह, कुंवर सिंह, मनवर सिंह, हरेंद्र सिंह, प्रताप सिंह, धर्मवीर सिंह, दिगंबर सिंह, विक्रम सिंह, अरविंद सिंह, अनिल सिंह आदि ने ब्यास पूजन संपंन किया एवं पंडित गिरीश चंद्र भट्ट, पंडित सुबोध भट्ट, पंडित आलोक भट्ट, पंडित हेमंत काला, पंडित मयंक पुरोहित, पंडित अमित डोबरियाल, पंडित प्रमोद मंगाई ने गणेश पूजन नवग्रह पूजन भद्र मंडल का पूजन एवं ब्यास पूजन संपंन कराया।