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( आखरीआंख )
अपने राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ के मौके पर चीन और रूस ने आपसी रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए कुछ और कदम आगे बढ़ाए हैं। इस अवसर पर चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग रूस के दौरे पर गए। इस दौरान दोनों मुल्कों ने एक साझा बयान जारी किया और उनके बीच प्रौद्योगिकी और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए 20 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के सौदे पर हस्ताक्षर भी हुए। दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार 108 अरब डॉलर से बढ़ाकर 200 अरब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष करने का लक्ष्य रखा है जो पिछले साल से 24.5 प्रतिशत यादा है।
एक समारोह के दौरान चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि रूस और चीन के बीच संबंध अंतरराष्ट्रीय शांति के गारंटर के रूप में काम करते हैं और अन्य देशों के लिए एक सकारात्मक उदाहरण पेश करते हैं। उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अपना सबसे अछा दोस्त बताया। दोनों देशों के साझा बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं को विश्व में नेतृत्वकारी भूमिका अदा करनी चाहिए। इस मौके पर एक और अहम फैसला हुआ। रूस ने अपने देश में चीनी टेलीकॉम कंपनी हुआवे को 5जी तकनीक के विकास की अनुमति दे दी है। हुआवे ने रूसी टेलीकॉम कंपनी एमटीएस के साथ अगले साल देश में 5 जी नेटवर्क विकसित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह निर्णय निश्चय ही अमेरिका को चुभेगा।
पिछले दिनों अमेरिका ने जासूसी के संदेह में हुवावे पर प्रतिबंध लगा दिया था। ऐसे में रूस ने उसे सहारा दिया है जिसे अमेरिकी प्रेजिडेंट ट्रंप शायद ही पसंद करें। सचाई यह है कि यह मुलाकात ही अमेरिका पर दबाव बढ़ाने के लिए की गई है। इस समय चीन और अमेरिका का ट्रेड वॉर खतरनाक दौर में पहुंचा हुआ है। दूसरी तरफ, अमेरिका और रूस में भी अनेक मुद्दों को लेकर तनातनी जारी है। यही वजह है कि रूस और चीन अतीत की कड़वाहट भुलाकर एक-दूसरे के करीब आए हैं। खासतौर से पिछले एक दशक में दोनों की नजदीकी बढ़ी है, न सिर्फ व्यापारिक बल्कि रक्षा सहयोग भी बढ़ा है।
यूक्रेन के क्रीमिया संकट के दौरान जब पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए तो चीन उसकी मदद के लिए आगे आया। दोनों ने मिलकर अमेरिका पर वैश्विक मामलों में आक्रामक रुख अपनाने का आरोप लगाया। उत्तर कोरिया और सीरिया को लेकर चीन और रूस का रुख एक जैसा है। बीते साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र में रूस और चीन ने कहा कि दुनिया एक महाशक्ति के दौर से निकलकर बहुध्रुवीय ताकतों वाले युग में जा रही है। निश्चय ही यह अमेरिका पर एक कड़ी टिप्पणी है। रूस और चीन की साझेदारी दुनिया में शक्ति के संतुलन में सहायक है। यह एक आश्वासन भी है कि विश्व में बहुपक्षीयता और सामूहिकता बनी रहेगी।