November 22, 2024

पंचायत जनाधिकार मंच की बैठक सम्पन्न

 

अल्मोड़ा ( आखरीआंख )  आज पंचायत जनाधिकार मंच उत्तराखंड की जिला अल्मोड़ा इकाई की बैठक मंच के प्रदेश संयोजक जोत सिंह बिष्ट, मंच के मुख्य कार्यक्रम समन्वयक मथुरादत्त जोशी की उपस्थिति में  पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन सिंह मेहरा की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस बैठक में उपस्थित मंच के अल्मोडा ज़िले के  संयोजक व कार्यक्रम के संचालक त्रिलोचन जोशी, जमन सिंह बिष्ट, बिट्टू कर्नाटक, राजेन्द्र बरकोटी के अलावा अल्मोड़ा के 86 वर्तमान व पूर्व पंचायत के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की।

बैठक में उपस्थित लोगों के सम्मुख अपने विचार व्यक्त करते हुए मंच के प्रदेश संयोजक जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि 73वें संविधान संशोधन में पंचायतों को संवैधानिक दर्जा देने की स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी की मंशा को नरसिम्हा राव सरकार द्वारा कानून बनाकर 1993 में लागू किया, जिसमें समाज के कमजोर वर्गों, महिलाओं को प्रतिनिधित्व का मौका मिला। इस विधेयक में  29 विषयों को पंचायतों के अधीन करने  निर्वाचित प्रतिनिधियों से निर्वाचित प्रतिनिधियों को चार्ज देने, जिला नियोजन समिति में पंचायत व निकाय के प्रतिनिधियों को निर्वाचित कर ज़िले की वार्षिक कार्ययोजना बनाकर लागू करने जैसे अनेक प्रावधान पंचायतों को मजबूत करने की मंशा से शामिल कर लिए गए। इन प्रावधानों को लागू करने का दायित्व राज्य सरकार पर छोड़ दिया गया।

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद जो पहला पंचायत का चुनाव हुवा उसमें जिन लोगों को सेवा का मौका मिला, और उस समय के पंचायत के प्रतिनिधियों ने पंचायतो की मजबूती के लिए लगातार संघर्ष किया, जिसके कुछ सकारात्मक परिणाम भी सामने आये। विधायिका के दबाव एवं हर पांच साल में पंचायतो के परिसीमन व आरक्षण के बदलने के कारण पंचायतो में पुराने और अनुभवी लोगों के लिए चुनाव में भागीदारी के मौके कम होते गए जिस वजह से पंचायतो की लड़ाई शिथिल होती गई। आज पंचायतों में 29 विषय पर बात नहीं हो रही है।  पंचायत प्रतिनिधियों की अनेक सुविधाओ पर रोक लगा दी गई है।  पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण भी नहीं दिया जा रहा है। जिस वजह से आज सरकार, विधायिका, अधिकारी, कर्मचारी सब पंचायत के प्रतिनिधियों पर हावी हो रहे हैं, तथा पंचायतो  के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है।

उत्तराखंड बनने के 16 साल बाद बमुश्किल से पिछली कांग्रेस सरकार ने उत्तराखंड का  पंचायत राज अधिनियम बनाकर लागू किया, जिसमें उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम में मामूली संशोधन करने के बाद इसको उत्तराखंड में लागू किया गया. वर्तमान सरकार ने जून के महीने में आहूत विधानसभा सत्र में पंचायत राज अधिनियम 2016की 23 धाराओं में संशोधन किया जिसमे कई त्रुटियाँ होने के साथ धारा  8 में जोड़े गए 2 संशोधन न तो क़ानून सम्मत है और न ही व्यावहारिक है।

हम जनसख्या नियन्त्रण के विरोधी नही बल्कि पक्षधर हैं, पंचायत के प्रतिनिधि शिक्षित हों इसके भी पक्षधर हैं, लेकिन जो लोग इस क़ानून को बनाकर लागू करना चाहते है, क्या उनका शिक्षित होना जरूरी नहीं है? क्या जनसंख्या नियंत्रण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित नहीं होनी चाहिए? क्या जनसँख्या नियंत्रण का यह कानून उन पर लागू नहीं होना चाहिए? इस सबके लिए केवल पंचायतें ही प्रयोगशाला क्यों? यह सब यक्ष प्रश्न है, जिसका जबाब ढूढ़ने की हम कोशिश कर रहे हैं। नियम और परंपरा है कि जब कोई क़ानून बनता है उसके बाद लागू होता है, लेकिन उत्तराखंड में जिस किसी के 3 बच्चे होंगे वह पंचायत चुनाव लड़ने के योग्य नहीं होगा। ऐसा कानून लागू करना लोकशाही के खिलाफ है।  इसलिए इन सब सवालो का सम्यक समाधान निकले, पंचायतो को उनके संवैधानिक अधिकार मिल सके पंचायते आर्थिक रूप से मजबूत हों, उत्तराखंड में “पंचायत जनाधिकार मंच” के बैनर तले इस लड़ाई को लड़ने का काम हमने शुरू किया है. हमारी कोशिश है की हम शांति पूर्वक बातचीत कर सरकार से समाधान करवा सकें, यदि ऐसा नहीं हित है तो सडको से लेकर न्यायालय तक अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे।

मुख्य समन्यवक मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि पंचायत राज अधिनियम में संशोधन के मध्यम से, शासनादेशो के मध्यम से या फिर नियमों में समय समय पर किये जा  रहे परिवर्तन से सरकार व अधिकारी मिलकर पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों पर अतिक्रमण करके पंचायतो को कमजोर कर रही है। पंचायते आर्थिक रूप से स्वावलंबी हों, अधिकार संपन्न हों, पंचायत प्रतिनिधियों को 73वे संविधान संशोधन में निहित अधिकार मिल सके, इस हेतु लम्बी लड़ाई लड़ने की कार्य योजना तैयार की जा रही है।

पार्वती मेहरा, मोहन सिंह मेहरा,पीताम्बर पाण्डे, ने अपने विचार व्यक्त करते हुए राज्य में पंचायतों की उपेक्षा के खिलाफ पंचायत जनाधिकार मंच के बैनर तले जारी संघर्ष में सम्मिलित होकर लड़ाई को मजबूती से लड़ने का संकल्प लिया।

 

जोत सिंह बिष्ट प्रदेश संयोजक,

मथुरा दत्त जोशी मुख्य कार्यक्रम समन्वयक,

त्रिलोचन जोशी  जिला संयोजक अल्मोड़ा।

बॆठक में पूर्व राज्य मंत्री बिट्टू कर्नाटक, राजेन्द्र बाराकोटी, मनोज सनवाल, दीवान सतवाल, चन्दन बिष्ट, गोपाल देव, किशोर नयाल, महेश आर्य, लाल सिंह बजेठा, पंकज वर्मा, अमरनाथ रावत, जमन बिष्ट, मोहन सिंग्वाल, अम्बीराम, राजेश अधिकारी, रमेश जोशी, दान सिंह नेगी, गोपाल गुरुरानी, बिशन राम, अनिल मेर, गोपाल खोलिया, कमल पन्त आदि ने सुझाव रखें।

बॆठक में प्रदीप जोशी, हेम जोशी, राजेश अल्मिंया, विवेक थापा, गोविन्द बल्लभ, ,प्रकाश बिष्ट, विजय भट्ट , दानिश खान, नवाज खान, अमन अंसारी , सहित सात दर्जन से अधिक पंचायत प्रतिनिधि मॊजूद थे।

इस अवसर पर अल्मोड़ा जनपद के ब्लॉक पंचायत संयोजक भी मनोनीत किये गये। हवालबाग से अमरनाथ रावत, भॆसियाछाना से दान सिंह नेगी, ताकुला लाल सिंह बजेठा, लमगडा़ राजेश अधिकारी, द्वाराहाट केशव दत्त कवडवाल, , धॊलादेवी मोहन सिंग्वाल, ताडी़खेत गोपाल देव बनाये गये। प्रदेश संयोजक जोत सिंह बिष्ट एंव जिला संयोजक त्रिलोचन जोशी ने माल्यार्पण कर स्वागत किया।