जौनसार भाबर में चल रही बूढ़ी दीवाली: हारुल, तांदी पर किया ग्रामीणों ने सामूहिक नृत्य
विकासनगर। जौनसार-बावर क्षेत्र में इन दिनों बूढ़ी दिवाली पर्व का उल्लास छाया हुआ है। गांव-गांव में लोक गीतों की धुनों पर नाचते गाते ग्रामीण पर्व की खुशीयां बांट रहे हैं। गुरुवार को क्षेत्र में दिवाली का तीसरा दिन हर्षोल्लास से मनाया गया। देर शाम तक गांवों में हारूल, तांदी पर थिरकते ग्रामीण महिला पुरुषों ने पर्व का जश्न मनाया। देश में मनाई जाने वाली दीपावली के ठीक एक माह बाद जौनसार में मनाई जा रही बूढ़ी दिवाली पटाखों के शोरगुल से कहीं दूर इको फ्रेंडली और पारंपरिक रीति रिवाजों के साथ मनाई जा रही है। बुधवार को बिरुड़ी के बाद गुरुवार को क्षेत्र में दिवाली का तीसरा दिन हरियाली के रूप में मनाया गया। इस दिन सुबह से ही ग्रामीणों ने स्नान ध्यान कर देवता की पूजा अर्चना की। पुरोहितों ने ग्रामीणों के कानों पर जौं की बालियां (हरियाली) रखकर पर्व की बधाई दी। क्षेत्र के ठाणा, उपलगांव, सिलगांव, शैली, बमराड़, अठगांव, समाल्टा, पानुवा पाटा, मलेथा, दातनु, बडनु, जोशी गांव, मसराड, ललऊ, बसाया, चापनु, अलसी, सकनी, ककाडी कनबुआ, कोठा, तारली, खमरोली, हाजा, लोरली, विनोऊ, कोरूवा, ठाणा, फटेऊ, दसऊ, गबेला, डिमोऊ, डांडा, चदोऊ, सुरेऊ, भंजरा, लेल्टा, धोईरा, टिमरा, जामुवा, अस्टी, गोथान, पणायासा, सेंसा, बिसोई, सेंज, निथला, बन्तोऊ, उपरोली, कुरोली, बोहरी, खतासा, देऊ, लोखंडी, जोगियों आदि गांवों में देर रात तक लोक गीतों की धुनों पर ग्रामीण वाद्य यंत्रों की थाप पर परंपरागत रूप से दिवाली का जश्न मनाते रहे। उधर, पर्व के चलते घर-घर में विशेष पकवान बनाने के साथ दावतों का दौर भी जारी है। ग्रामीण एक दूसरे के घर पहुंचकर जमकर दावतें उड़ा रहे हैं।