बागेश्वर में गुलदार का आतंक जारी
बागेश्वर। दुग-नाकुरी तहसील के किड़ई, भूलगांव, पचार, ठाड़ाईजर, महोली में इन दिनों गुलदार का आतंक बना हुआ है। बुधवार की शाम जंगल से लौट रहे जानवरों के झुंड पर गुलदार ने हमला कर दिया। इस हमले में किड़ई निवासी भूपाल सिंह पुत्र राम सिंह की बछिया बाल-बाल बची। गुलदार ने उसके गले को अपना निशाना बना लिया था। चरवाहों के होहल्ला करने से गुलदार हपाई गधरे की तरह भाग गया। किसी तरह जानवर की जान बच पाई। इस हमले से लोग दहशत में हैं। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि दो महीने से गुलदार क्षेत्र में आतंक का पर्याय बना हुआ है। उसने पहले भूलगांव में एक मासूम को निवाला बनाया था। इसके बाद किड़ई में ही सात साल के लड़के पर जानलेवा हमला कर दिया। उसके दादा ने होहल्ला कर मासूम को गुलदार के मुंह में जाने से बचा लिया। ठाड़ाईजर में गुलदार दो खचरों को अपना निवाला बना चुका है। लोगों ने वन विभाग से समस्या का समाधान करने तथा पशुपालक को मुआवजा देन की मांग की है। मांग करने वालों में चरन सिंह, जगदीश सिंह, मोहिनी देवी, पनुली देवी, बसंत सिंह तथा पकीर राम आदि शामिल हैं। इधर धरमघर के वन क्षेत्राधिकारी नारायण दत्त पांडे ने बताया कि क्षेत्र में गुलदार को पकडऩे के लिए चार पिंजड़े लगाए हैं। उन्होंने बताया कि घायल जानवर के मुआवजे का विभाग में कोई प्रावधान नहीं है।
नरगड़ा में गुलदार ने एक ही पशुपालक की सात बकरी मारी
कपकोट। कपकोट तहसील के नरगड़ा क्षेत्र में गुलदार का आतंक बना हुआ है। बुधवार की देर शाम जंगल से आते समय गुलदार ने उनके झुंड पर हमला कर दिया। इस हमले में आन सिंह पुत्र चंद्र सिंह की सात बकरियां मर गई। पशुपालकों के होहल्ला करने के बाद गुलदार वहां से जंगल की ओर भाग गया। गुरुवार को पीडि़त परिवार ने इसकी जानकारी जन प्रतिनिधियों को दी। सिमगड़ी के जिला पंचायत सदस्य पूरन गडिय़ा ने धरमघर के रेंजर को घटना के बारे में बातया। पशुपालक को अधिक से अधिक मुआवजा देने की मांग की है।