May 21, 2024

प्रतिरोध की मुखर आवाज बने जेलेंस्की



रूस के आक्रमण से पूर्व अपार जनसमर्थन से राष्ट्रपति बने वोलोदिमीर जेलेंस्की को एक अनुभवहीन राजनेता के रूप में देखा जाता रहा है। कहा जाता रहा कि कॉमेडियन से राष्ट्रपति बने जेलेंस्की इस टकराव को टालने के लिये कूटनीतिक लड़ाई नहीं लड़ पाये। लेकिन एक छोटा देश होने के बावजूद वे रूस की विशाल सैन्य शक्ति का जिस तरह अकेले मुकाबला करते नजर आये, उसने यूक्रेन के राजनेता को वैश्विक स्तर पर दमदार नेता के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया। दरअसल, जब जेलेंस्की पहली बार यूक्रेन के राष्ट्रपति के रूप में टीवी स्क्रीन पर दिखे तो वे एक प्रसिद्ध कॉमेडी सीरीज में एक किरदार निभा रहे थे। सर्वेंट ऑफ पीपुल सीरीज में उन्होंने एक शिक्षक की भूमिका निभाई जो भाग्य से देश का राष्ट्रपति बन जाता है। उस उदार शिक्षक का भ्रष्टाचार के खिलाफ दिया गया बयान सुर्खियों में छा गया। दरअसल, इस पात्र ने राजनीतिक नेतृत्व की काहिली के बीच निराश लोगों के जीवन में नई संभावना जगाई। कालांतर में यह कहानी तब हकीकत बन गई जब अभिनय की दुनिया से निकलकर जेलेंस्की वर्ष 2019 में वास्तव में यूक्रेन के राष्ट्रपति बन गये। इस साढ़े चार करोड़ जनसंख्या वाले देश में वे सर्वमान्य नेता के रूप में उभरे। उन्होंने अपने राजनीतिक दल को ‘सर्वेंट ऑफ द पीपुल’ नाम दिया। उन्होंने देश की जनता से वादा किया कि वे पूर्वी यूक्रेन में शांति स्थापित करेंगे। साथ ही भरोसा दिलाया कि वे साफ-सुथरी राजनीति में विश्वास रखते हैं।
बहरहाल, आज रूसी आक्रमण का वे जिस तरह डटकर मुकाबला कर रहे हैं, उसने यूक्रेन ही नहीं, उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर का नेता बना दिया है। वे आज प्राणपन से अपने देश को रूसी हमले से सुरक्षित करने तथा वैश्विक समर्थन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। जेलेंस्की, यूक्रेन के किरीवयी रीह में बसे एक यहूदी परिवार में जन्मे। उन्होंने प्रारंभिक पढ़ाई के बाद कीव नेशनल इकोनॉमिक यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की थी। लेकिन उनका मन सदैव अभिनय व कॉमेडी में लगा रहा। कॉमेडी के कई टीवी शो के जरिये उन्होंने अपार लोकप्रियता हासिल की। वे यूक्रेन व रूस के टीवी चैनलों पर कॉमेडी कार्यक्रम में वर्षों भाग लेते रहे। साल 2003 में उन्होंने अपनी एक टीवी प्रोडक्शन कंपनी भी बनायी, जिसका नाम केवार्ताल-95 था। इसी दौरान वे यूक्रेन के चर्चित 1+1 नेटवर्क के लिये कार्यक्रम बनाते रहे। विवादों में घिरी इस कंपनी के मालिक यूक्रेन के अरबपति इहोर कोलोमोइस्की की वजह से सवाल जेलेंस्की पर भी उठे। बताया जाता है कि इस अरबपति ने राष्ट्रपति चुनाव में जेलेंस्की की मदद की। इस सदी के पहले दशक में वे टेलीविजन व फिल्मों के क्षेत्र में खूब नाम कमा रहे थे। उन्होंने कुछ फिल्में भी बनायीं।
कालांतर यूक्रेन में राजनीतिक अस्थिरता का दौर भी आया। देश में रूस समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को सत्ता से हटाने के लिये देशव्यापी मुहिम चली। कई महीनों के टकराव के उपरांत विक्टर यानुकोविच को सत्ता से बेदखल कर दिया गया। यूक्रेन के पश्चिमी देशों की तरफ झुकाव के चलते क्षुब्ध रूसी राष्ट्रपति पुतिन के इशारे पर क्राइमिया पर कब्जा कर लिया। वहीं इस दौरान पूर्वी यूक्रेन में सक्रिय पृथकतावादियों को रूस ने खुला समर्थन दिया। वे यूक्रेन सेना के खिलाफ लगातार मोर्चा खोले हुए हैं। वर्ष 2019 में जेलेंस्की ने अपने प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रपति पेत्रों पोरोशेंको को चुनाव में परास्त कर दिया। पोरोशेंको को विश्वास था कि राजनीति का ककहरा सीख रहा एक कॉमेडियन उनका क्या मुकाबला करेगा। लेकिन पेत्रों को उन्होंने भारी वोट लेकर हराया। साथ ही यूक्रेन के लोगों से वादा किया कि वे वर्ष 2014 से देश के पूर्वी इलाके में जारी गृहयुद्ध को समाप्त करवायेंगे। इस युद्ध में चौदह हजार से अधिक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस दिशा में जेलेंस्की आगे बढ़े। बहुचर्चित मिंस्क समझौता हुआ। रूस से बातचीत के बाद कैदियों को एक-दूसरे देशों को सौंपा गया। हालांकि, इस समझौते की अपनी सीमाएं भी थीं और उसका अतिक्रमण भी हुआ। हालांकि, रूस समर्थक अलगाववादियों को समर्थन मिलने से जेलेंस्की खिन्न भी थे। लेकिन पश्चिमी देशों के प्रति जेलेंस्की का झुकाव पुतिन को नागवार गुजरा। दरअसल, यूरोपीय यूनियन तथा नाटो में शामिल होने की यूक्रेन की कोशिश को पुतिन ने रूस की सुरक्षा के लिये बड़ी चुनौती माना।
वास्तव में जेलेंस्की रूसी हमले के बाद एक नायक के रूप में उभरे। जो लोग जेलेंस्की को कमजोर बता रहे थे, उनका अनुमान गलत साबित हुआ। वे यूक्रेन के लोगों को एकजुट करने में सफल हुए। वे सीमा पर लड़ रहे सैनिकों का उत्साह बढ़ाने लगातार पहुंचते रहे। यही वजह है कि आज वे एक विश्व नेता के रूप में उभरे हैं। यूक्रेन को पहली बार एक बुलंद आवाज मिली है। दुनिया में उनको सुना जा रहा है। सारा देश उनके साथ है और सही मायनों में वे रूसी आक्रमण के खिलाफ यूक्रेन के प्रतिरोध का प्रतिनिधि चेहरा बन गये हैं। वे सम्मानजक ढंग से दुनिया के सामने यूक्रेन की बात कर रहे हैं। उन्होंने दुनिया को बताया कि एक छोटा देश भी कैसे बड़ी महाशक्ति का मुकाबला कर सकता है। उन्होंने यूरोपीय देशों को चेताया है कि यदि वे यूक्रेन के संघर्ष में साथ न आए, तो युद्ध उनके दरवाजे तक भी पहुंच जायेगा।