December 13, 2024

4 जून को किसकी किस्‍मत चमकेगी और जनता किसे अपना नेता चुनेगी


देहरादून । 19 अप्रैल को प्रथम चरण में उत्‍तराखंड की पांचों संसदीय सीटों पर मतदान होना है। जिसके बाद 55 प्रत्‍याशियों का फैसला ईवीएम में कैद हो जाएगा। देखना होगा कि 4 जून को किसकी किस्‍मत चमकेगी और जनता किसे अपना नेता चुनेगी। वहीं इस चुनाव में राज्‍य की पांचों सीटों पर कुछ मुद्दे छाए रहे।

नैनीताल-यूएसनगर सीट
नैनीताल-ऊधम सिंह नगर संसदीय क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस समेत 10 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय मुद्दों तक वार-पलटवार है। विशेषकर स्थानीय मुद्दों पर एक-दूसरे की घेराबंदी की जा रही है। मतदाता खामोश हैं। कहीं पर भी खुलकर जीत और हार को लेकर प्रतिक्रिया नहीं नजर आ रही है।  जहां तक मतदाताओं के मूड की बात है मुद्दे सियासी फिजा में छाए हैं। इन पर काफी क्रिया-प्रतिक्रिया दिख रही है। इसके अलावा एंटी इनकमबेंसी फैक्टर की भी चर्चा है। खासकर बेरोजगारी, अग्निवीर योजना से लेकर स्थानीय स्तर पर मूलभूत सुविधाओं की कमी पर लोगों का ध्यान है।
पेजयल, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, अतिक्रमण, पार्किंग आदि मुद्दे हैं, जो आम लोगों को सीधे प्रभावित करते हैं। सभी नगरीय क्षेत्रों में पार्किंग की बड़ी समस्या का मुद्दा भी गरम है। किसके समय में क्या काम हुआ, इसको लेकर भी राजनीतिक दल और प्रत्याशी मुखर हैं।
प्रमुख स्थानीय मुद्दे:
डा. सुशीला तिवारी अस्पताल में कैथ लैब शुरू नहीं होना, राजकीय मेडिकल कालेज रुद्रपुर भी शुरू नहीं हुआ l
हल्द्वानी में स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट नहीं बन पाना l
तराई के अधिकांश नगरीय क्षेत्रों में जलभराव की समस्या व रुद्रपर में ट्रासपोर्ट नगर नहीं बन सकना l
नजूल भूमि में लंबे समय से बसे लोगों को मालिकाना हक न मिलना l
नए पर्यटन स्थल विकसित न होना पुराने में सुविधाओं का अभाव

अल्मोड़ा संसदीय सीट
अल्मोड़ा संसदीय सीट पर चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी खेती-किसानी के मुद्दों पर उलझे हुए हैं। यहां से भाजपा-कांग्रेस समेत सात प्रत्याशी चुनावी समर में हैं। जनता तक अपने वादे व दावों को पहुंचाने की भरसक कोशिश में प्रत्याशी जुटे हैं, लेकिन वन्य जीवों की आबादी में घुसपैठ समेत कई मामले प्रत्याशियों के लिए भी यक्ष प्रश्न बने हैं।विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण इन राष्ट्रीय दलों का प्रचार जिला, ब्लाक मुख्यालय व सड़क के किनारे नगर व कस्बों तक सिमटकर रह गया। सुदूर गांव में रह रहे मतदाता तक प्रत्याशी पहुंच ही नहीं पाए हैं। संसदीय क्षेत्र का 60 फीसद से अधिक हिस्सा इन्होंने छुआ नहीं। परंपरागत प्रतिद्वंदी आमने-सामने होने से मतदाताओं में अधिक उत्साह नजर नहीं आ रहा है। मुद्दों पर मतदाता चर्चा कर रहा है, लेकिन समाधान को लेकर संशय में है। सड़क, बिजली, पेयजल, संचार, स्वास्थ्य समेत अनेक मूलभूत सुविधाओं को लेकर प्रत्याशियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं।
प्रमुख स्थानीय मुद्दे:
वन्य जीवों का आबादी क्षेत्र में बढ़ता आतंक और फसलों को नुकसान पहुंचाना l
मैदानी क्षेत्र की तुलना में पहाड़ में उन्हीं वस्तुओं के दाम अधिक होना l
स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधनों की कमी l
स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी l
पहाड़ में पेयजल और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव।
बदहाल विद्यालय भवन, सुविधाओं के अभाव के साथ शिक्षकों की कमी का हल न निकलना।

हरिद्वार संसदीय सीट
हरिद्वार संसदीय सीट पर भाजपा और कांग्रेस समेत 14 प्रत्याशी उतरे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों व प्रत्याशियों ने स्थानीय मुद्दों को खूब उछाला। स्थानीय मुद्दों पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चला। दावे और वादे भी हुए। हरिद्वार में बढ़ नियंत्रण, उत्तर प्रदेश के साथ हरिद्वार के कई गांवों का भूमि विवाद, उत्तरी हरिद्वार में राजकीय महाविद्यालय और अस्पताल के भवन, भगवानपुर में नलकूप लगाने की अनुमति नहीं मिलना, झबरेड़ा व कलियर में

स्वास्थ्य सेवाओं व पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बदहाली, मंगलौर में खस्ताहाल संपर्क मार्ग, ऋषिकेश में जल भराव, ट्रेचिंग ग्राउंड, आस्था पथ को जोड़ने के लिए चंद्रभागा नदी पर पुल, जंगल से सटे आबादी क्षेत्र में वन्यजीवों की घुसपैठ पर रोक, त्रिवेणी घाट में गंगा की स्थाई धारा को लाने, संजय झील का निर्माण, टिहरी बांध विस्थापितों को भूमिधरी अधिकार, फ्लाई ओवर बनने पर हरिपुरकलां के लिए कनेक्टिविटी की समस्या, रेलवे फाटक पर आरओबी, रानीपोखरी में पेयजल योजना का पुनर्गठन, बुल्लावाला मार्ग पर नदी में स्थायी पुल आदि के मुद्दे भी चुनाव के दौरान हवा में तैरते रहे। प्रत्याशी अपनी सुविधा के अनुसार मुद्दे उठा रहे हैं और जनता की अपनी चिंता है।
प्रमुख स्थानीय मुद्दे:
 70 प्रतिशत स्थानीय युवाओं को उद्योगों में रोजगार उपलब्ध कराना l
 हरिद्वार-बरेली हाईवे का निर्माण पूरा करना l
 रुड़की शहर के कई क्षेत्रों में जलभराव l
 आवारा पशुओं के लिए कांजी हाउस l
 डोईवाला चीनी मिल का नवीनीकरण कराना।

गढ़वाल संसदीय सीट
गढ़वाल संसदीय क्षेत्र का विषम भूगोल और हिमालयी क्षेत्र की विकट परिस्थितियां मतदाताओं को सीमांत का सजग प्रहरी बनाती हैं, लेकिन सच्चाई यह भी है कि धरातल पर उन्हें लगातार कठिनाइयों से जूझना पड़ रहा है। गढ़वाल सीट से भाजपा-कांग्रेस समेत 13 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
पलायन व आजीविका का मुद्दा गरम है। गांवों में सड़कें जब तक पहुंच रही हैं, उससे पहले वहां से आबादी सुगम क्षेत्रों में पलायन को मजबूर है। आजीविका और रोजगार के साधन पर्वतीय क्षेत्रों से दूरी बनाए हुए हैं। शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, पानी, बिजली, सड़क, स्वास्थ्य और आजीविका के मुद्दे ही मतदाताओं के मन-मस्तिष्क में तैर रहे हैं। स्थानीय मुद्दों को लेकर भी प्रत्याशियों के बीच युद्ध छिड़ा हुआ है।  चमोली

जिले में भूधंसाव की आपदा से जूझ रहे जोशीमठ में आपदा लंबे समय तक मुद्दा रहा, लेकिन अब यह क्षेत्रवासियों की विकास कार्य, पुनर्वास, आपदा प्रबंधन व्यवस्था की मांग बन चुका है। क्षेत्र विशेष पौड़ी जिले में यह पानी की कमी, पयर्टन स्थल के विकास और सरकारी कार्यालयों से उनके कार्मिकों की ही दूरी के रूप में है तो चमोली व रुद्रप्रयाग जिलों में पर्यटक स्थलों के विकास, बुनियादी सुविधाओं के विस्तार के रूप में मतदाताओं के दिलों में दस्तक दे रही है।
प्रमुख स्थानीय मुद्दे:
 पर्वतीय शहरों व गांवों में ढांचागत सुविधाओं का विकास करना l
 आपदा प्रभावित गांवों का पुनर्वास l
 पेयजल संकट का समाधान l
 स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती l
 वनंतरा प्रकरण।

टिहरी गढ़वाल संसदीय सीट
टिहरी गढ़वाल संसदीय सीट में उतरे 11 प्रत्याशियों को स्थानीय मुद्दों पर जनता के सवालों पर बखूबी सामना करना पड़ रहा है। तीर्थाटन और जल विद्युत परियोजनाओं को लेकर बनी योजनाओं को जल्द पूरा करने की मांग जोर पकड़े है। कई जगह तो लोग सड़क, संचार व शिक्षा जैसे मुद्दों की उपेक्षा को लेकर राजनीतिक दलों से बेहद नाराज दिखे। इनमें उत्तरकाशी जिले 20 से अधिक गांवों के लोग भी शामिल हैं। यमुनोत्री धाम में पुनर्निर्माण का मुद्दा प्रमुख रहा। यमुनोत्री धाम को रोपवे से जोड़ने और हेलीपैड बनाने की मांग भी लगातार उठ रही है। भागीरथी, भिलंगना, बालगंगा, असी गंगा, टोंस व पावर नदी पर प्रस्तावित 22 जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण का सभी को इंतजार है। पर्यटन के क्षेत्र में ताल-बुग्यालों तक रोपवे की सुविधा, यहां जाने के लिए नियमों में शिथिलता, टिहरी झील के विकास को टूरिज्म मास्टर प्लान बनाने की भी मांग उठी। धार्मिक पर्यटन में सेम-मुखेम व हनोल महासू मंदिर को पांचवां धाम घोषित किए जाने का भी प्रश्न है। सड़कों के जाल को और बेहतर बनाने की बात है। पेयजल सुविधा हर गांव तक पहुंचाने को लेकर भी बहस जोर पकड़े हुए है। चकराता से घनसाली तक सीएचसी में अल्ट्रासाउंड की भी व्यवस्था करने की मांग है। दून घाटी में अनियोजित विकास बड़ा मुद्दा है।
प्रमुख स्थानीय मुद्दे:  
 प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण l
 यमुनोत्री धाम का पुनर्निर्माण l
 टिहरी विस्थापित और प्रभावितों की समस्या l
 उत्तरकाशी से तिलवाड़ा के बीच आलवेदर रोड l
 सड़क,पेयजल,स्वास्थ्य,शिक्षा व संचार की समुचित सुविधा न होना।