यूसीसी के विरोध में जन संगठनों ने लिखा खुला खत

देहरादून । जन संगठन और विपक्षी दलों ने यूसीसी के विरोध में उत्तराखंड की जनता के नाम पर खुला खत जारी किया है। यूसीसी के नाम पर लाए गए कानून को महिला विरोधी, जन विरोधी एवं असंवैधानिक ठहराया है। खुला खत के माध्यम से समाजवादी लोक मंच, उत्तराखंड महिला मंच, उत्तराखंड लोक वाहिनी, चेतना आंदोलन, महिला किसान अधिकार मंच, इत्यादि के साथ सीपीआई, सीपीएम, समाजवादी पार्टी, सीपीआई(मा-ले) और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने कहा कि यह कानून समान नहीं है और संविधान के खिलाफ है। कानून दमनकारी है और इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा। कहा कि इस कानून में कई बेजरूरत प्रावधान है, क्योंकि लिव इन रिलेशनशिप या शादी में रहने वाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए पहले से ही प्रावधान है, जिसका अमल पर सरकार कोई कदम नहीं उठा रहा है। यह कानून अस्पष्ट और भेदभावपूर्ण भी है, जो स्त्रियों की निजता, उत्तराधिकार एवं जीवनसाथी चुनने के अधिकार इत्यादि को नियंत्रित करने का प्रयास है। जो सरकार महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर ऐसे कानून ला रही है, वहीं सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाई गयी व्यवस्थाएं जैसे वन स्टॉप सेंटर, महिला हेल्पलाइन को बेहद कमजोर कर दी है। खत जारी करने वालों में समाजवादी लोक मंच के मुनीश कुमार, उत्तराखंड लोक वाहिनी के राजीव लोचन साह, उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत, चंद्रकला, निर्मला बिष्ट, समाजवादी पार्टी के डॉ. एसएन सचान, भाकपा के समर भंडारी के साथ ही राजेंद्र पुरोहित, इंद्रेश मैखुरी, शंकर गोपाल, रजिया बेग, डॉ. रवि चोपड़ा आदि शामिल हैं।