फिर वादों के सहारे देश की जनता, नोटबन्दी व रोजगार पर भाजपा खमोश!!
अर्जुन राणा
केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में ‘नये भारत का निर्माणÓ के संकल्प के साथ शक्तिशाली, समृद्ध और खुशहाल भारत का सपना दिखाया है। देश की आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर 2022 तक भाजपा का संकल्प है कि प्रत्येक गरीब के सिर पर छत, हर घर में बिजली तथा नल से जल, शौचालय, गैस सिलेंडर जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया हो जाएं। किसानों की आय दोगुना करने, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के साथ अब छोटे किसानों और छोटे दुकानदारों को भी पेंशन देकर सामाजिक सुरक्षा का भाव जगाने का संकल्प लिया है। देश को 2030 तक विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने तथा आजादी के 100 साल पूरे होने यानी 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने का सुनहरा सपना दिखाते हुए अगले 5 साल का रोडमैप सामने रखा है। भाजपा ने अपने 5 साल के कार्यकाल की गुलाबी तस्वीर पेश कर अपने चुनावी एजेंडा के अनुरूप संकल्प पत्र में राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद को प्राथमिकता दी है, लेकिन राम मंदिर, कश्मीर में धारा 370 व 35-ए को समाप्त करने व समान नागरिक संहिता लागू करने और महिला आरक्षण जैसे 5 साल पहले भी किए वादों को फिर से दोहरा भर दिया है। आये दिन कांग्रेस से उसके 50 साल के शासन के कामकाज का ब्योरा मांगने वाली भाजपा ने खुद भी नहीं बताया कि आखिरकार इन 5 वर्षों में सत्ता में रहते हुए उसने इन वादों पर अमल करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए। यह भी प्रश्न उठ रहा है कि 2014 के चुनाव में सालाना 2 करोड़ रोजगार का वादा करने वाली भाजपा 2019 में इस मुद्दे पर खामोश क्यों हो गई? संकल्प पत्र में रोजगार व नोटबंदी पर एक भी शब्द न होना भी सवालों के पहाड़ खड़े करता है।
हालांकि भाजपा कह सकती है कि उसने रोजगार की बजाय उद्यमशीलता पर जोर दिया है, लेकिन हकीकत यह है कि देश का बड़ा वर्ग आज भी अपने बचों की परवरिश इस तरह से करता है कि वे अछी नौकरी पा सकें, उद्यम उसका अंतिम विकल्प होता है। संभवत: भाजपा की तुलना में कांग्रेस इस वर्ग की नब्ज पकडऩे में आगे रही है और उसने सरकारी क्षेत्र में खाली 22 लाख पदों को भरने व पंचायतों में 10 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा कर दिया। भाजपा का 2030 तक भारत को विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का संकल्प है, जबकि कांग्रेस अपनी न्याय योजना से 2030 तक देश को गरीबी से मुक्त करने का सपना दिखा रही है। कांग्रेस ने 20 फीसदी गरीबों को सालाना 72 हजार रुपये देने का वादा किया है। इसकी काट के लिए भाजपा ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के बाद अब छोटे किसानों और छोटे दुकानदारों को पेंशन देने तथा 2 एकड़ भूमि की शर्त को हटाकर सभी किसानों को सालाना 6 हजार रुपये देने का वादा कर दिया। हालांकि, दोनों ही दल इस बात पर खामोश हैं कि इन वादों को पूरा करने के लिए पैसा कहां से आएगा। राजकोषीय घाटा कैसे पूरा होगा। दोनों ही दल चुनावी वादों की रेवडिय़ां बांटने की होड़ में शामिल हैं।