October 23, 2024

अंतराष्ट्रीय कांफ्रेंस में निकले निष्कर्षों पर सरकार करेगी अमल: डा० धन सिंह रावत 

 

नई टिहरी।   राजकीय स्नात्तकोतर महाविद्यालय में कंटेपररी इशु आफ क्लाईमेट चेंज, कन्जर्वेशन आफ बायोडायवर्सिटी एंड नेचुरल रिसोर्स इन हिमालयन इन्वायरमेंटस विषय पर आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस का शुभारंभ उच शिक्षा मंत्री डा़ धन सिंह रावत ने किया। उन्होंने कहा कि समेलन में विभिन्न वैज्ञानिक और शोधार्थी जो निष्कर्ष व समाधान नदियों के संरक्षण, हिमालय क्लाईमेट को बचाने और जैव विविधता संरक्षण को निकालेंगे। उन निष्कर्षों पर सरकार हर संभव काम करने का प्रयास करेगी। डा़ रावत ने टिहरी झील में विलुप्त प्रजाति महाशीर मछली पर चिंता जताई। अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन पीजी कॉलेज जंतु विज्ञान विभाग की ओर से किया जा रहा है। गुरुवार को कांफ्रेंस में विशिष्ठ अतिथि के तौर पर मौजूद टिहरी विधायक धन सिंह नेगी ने कहा कि टिहरी झील में विभिन्न प्रजाति की मछली उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। इससे बेरोजगारों के लिए रोजगार का रास्ता बनेगा, साथ ही देश और दुनिया का ध्यान भी आकर्षित होगा। गढ़वाल विवि के पूर्व कुलपति एवं सेमिनार के मुय वक्ता प्रोफेसर एसपी सिंह ने कहा कि आज की भौतिक दौड़ में मनुष्य अपने तथा समाज के स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर रहा है। जिसकी वजह से भारत वर्ष के हिमालयी क्षेत्रों में भी विभिन्न प्रकार की आपदाएं एवं मौसम के बदलते स्वरूप को लेकर विभिन्न सेमिनारों में चर्चा-परिचर्चा के माध्यम से समाधान निकालने पर जोर दिया है।  यूकास्ट के महानिदेशक डा़ आरपी डोभाल ने कहा कि जैव विविधता एवं पर्यावरणीय संकट के खतरों के पीछे कहीं न कहीं वैश्वीकरण की अवधारणा है। आज सबसे बड़ी चुनौती पर्यावरण, नदियों, प्रकृति और संस्कृति को सुरक्षित रखने की है। नाबार्ड के सलाहाकार एवं लाइफ साइन्स के वैज्ञानिक डा़ डब्ल्यूएस लाकरा ने कहा कि वैश्वीकरण का अर्थ क्षेत्रीय वस्तुओं या क्षेत्रीय घटनाओं के वैश्विक स्तर पर परिवर्तन की प्रक्रिया है और जब तक हिमालय की सुरक्षा के प्रति हम गभीर नहीं होंगे। तब तक प्रकृति को सुरक्षित रखना सभव नहीं होगा। सेमिनार में श्रीदेव सुमन विवि के कुलपति डा़ यूएस रावत और हिमालयन विवि देहरादून में कार्यरत प्रो़ आशा चन्दोला सकलानी ने बताया कि भविष्य में टिहरी झील के आकार एवं स्वरूप को देखते हुए इसमें विभिन्न प्रजातियों की मछलियों का उत्पादन कर राय की आर्थिकी को बढ़ाया जा सकता है। इस अवसर पर डा़ सूत्रधार, डा़ डीपीएस भण्डारी, डा़ कुलदीप रावत, सह आयोजक सचिव डा़ कविता काला, डा़ शालिनी रावत, डा़ संजीब नेगी, डा़ प्रीति शर्मा, डा़ अरविन्द पैन्यूली, डा़ मणिकान्त शाह, डा़ हर्ष नेगी, डा़ आरती खंडूरी, डा़ सुशील कगडिय़ाल, डा़ निशान्त भट्ट, डा़ आशा डोभाल, डा़ गुरुपद गुसाईं, डा़ पुष्पा पंवार, मंच संचालक डा़ वन्दना सेमवाल, डा़ मुकेश सेमवाल, डा़ श्रीकृष्ण नौटियाल, डा़ सन्दीप बहुगुणा, डा़ माधुरी कोहली, डा़ अलोक कण्डारी, हरीश योति, नेहा, आशा, एसआरटी परिसर के प्रो एनके अग्रवाल, डा़ एलआर डंगवाल, पुस्तकालयाध्यक्ष हंसराज बिष्ट, डा़ सुमन गुसाईं, प्रो़ ओपी गुसाईं, प्रो़ पीडी भट्ट, डा़ एसपी सती, डा़ दीपक भट्ट, डायट प्राचार्य चेतन प्रसाद नौटियाल, डा़ वीर सिंह रावत आदि उपस्थित रहे। नेपाल, जापान और कनाडा से आए हैं वैज्ञानिक आयोजक सचिव प्राध्यापक डा़ विजय प्रसाद सेमवाल, सह आयोजक सचिव डा़ कविता काला और डा़ पदमा ने बताया कि तीन दिवसीय कांफ्रेंस में 10 सेशन रखे गये हैं। इसमें 150 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इनमें देश, प्रदेश के साथ ही नेपाल, जापान व कनाडा के वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। बताया कि सेमिनार का उद्देश्य हिमालय एवं प्राकृतिक परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करना है। इसके निष्कर्ष से राय तथा केन्द्र सरकार को अवगत कराना है।