March 29, 2024

जौनसार में चल रही बूढ़ी दीवाली पर हो रहा हिरन नृत्य

विकासनगर। जौनसार क्षेत्र के दर्जनों गांवों में शुक्रवार को काठ के हिरन नृत्य संग बूढ़ी दिवाली संपन्न हो गई। पंचायती आंगनों में एकत्र ग्रामीणों ने ढोल दमाऊ के साथ सामूहिक नृत्य कर दिवाली की खुशियां बांटी। गांव के नौजवानों ने आग का खरोड़ा जलाकर जश्न मनाया। हालांकि, क्षेत्र के कई गांवों में शनिवार शाम बूढ़ी दिवाली को विदा किया जाएगा। पौराणिक मान्यता के अनुसार जौनसार क्षेत्र के कुछ गांवों में तीन, तो कुछ गांवों में पांच दिवसीय बूढ़ी दिवाली मनाई जाती है। इसी क्रम में शुक्रवार को कोरूबा गांव सहित हाजा, सकनी, पानुवा, नेवी, समाल्टा, डामटा, अलसी आदि गांवों में बूढ़ी दिवाली संपन्न हो गई। दोपहर होते ही पंचायती आंगनों में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। काठ से बनाये गये हिरन के साथ गांवों के स्याणाओं ने नृत्य कर पर्व की खुशियां बांटी। स्याणाओं ने मौजूद लोगों को अखरोट के रूप में प्रसाद भी बांटा। इसके बाद शाम होते ही गांवों के नौजवानों ने पंचायती आंगन में लकडिय़ां एकत्र कर खरोड़ा जलाया। ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से अपने पारपरिक वाद्य यंत्रों ढोल, दमाऊ, रणसिंगा की थाप पर नृत्य किया। लोक गीत बिडूरी न मानी मैं ना जाना चौहडपुरा, आंदू रे खदेडा महिना, मोडे रे मुडाई, दुखियां दिलेडू ओ आंखी ओदे पाणीये आदि गीत देर रात तक गांवों में गूंजते रहें। पौराणिक संस्कृति को समेटा है कोरुबा गांव साहिया। खत बमटाड के कोरुबा गांव में शुक्रवार को दिवाली की रंगत देखने लायक रही। स्याणा बुद्ध सिंह तोमर के बेटे सुरेश तोमर ने महासू देवता मंदिर प्रांगण में हिरन नृत्य कर पारंपरिक पर्व को विदा किया। हिरन नृत्य को देखने स्थानीय लोगों के साथ दूर-दराज के गांवों से भी बड़ी संया में लोग पहुंचे। इस दौरान ग्रामीण महिलाओं ने भी पांरपरिक वेशभूषा में हारुल, झेंता, रासो पर नृत्य कर पर्व की खुशीयां बांटी। इससे पूर्व मंदिर परिसर में ग्रामीणों ने अपने ईष्ट देव महासू की पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की मन्नतें भी मांगी। इस मौके पर स्याणा बुद्ध सिंह तोमर, ग्राम प्रधान निशा तोमर, गीता राम तोमर, जवाहर सिंह, केशर सिंह, वीरेन्द्र सिंह, भगत सिंह, संतन सिंह, अर्जुन सिंह, सुरेन्द्र तोमर, दयापाल आदि मौजूद रहे। खत बमटाड के 24 गांवो में सबसे अनोखी दिपावली कोरुबा गांव में होती है। पौराणिक परंपरानुसार यहां गांव के स्याणा के साथ दो रानियां भी नृत्य करती हैं। इतना ही नहीं, स्याणा बने हिरन को राजा घेपडू द्वारा तीर मारकर घायल करने ओर उनकी दोनों रानियों को अपने साथ ले जाने का दृश्य प्रतिवर्ष ग्रामीणों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहता है। गांव के इस अनूठे रिवाज को देखने हर वर्ष बड़ी संया में लोग यहां पहुंचते हैं।