April 19, 2024

गृह मंत्री अमित शाह भी मुरीद हैं बागेश्वर के मडुए के बिस्किट के, देश मे धमाल मचा रहा ये उत्कृष्ट उत्पाद

एक्सक्लुसिव रिपोर्ट आखरीआंख

बागेश्वर । बागेश्वर जिले के कपकोट तहसील के मुनार गांव में बने मडुवे के बिस्कुटों की धमक अब देश की राजधानी दिल्ली में भी दिखने लगी है। दिल्ली हाट में लगे स्टॉलों में यहां के बने करीब ढाई कुंतल बिस्कुटों को बिक्री के लिए रखा गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने हाट में रखी खाद्य सामग्रियों में से मडुवे के बिस्कुट का स्वाद भी चखा। गृह मंत्री की तारीफ के बाद से काश्तकारों व उत्पादकों में खुशी की लहर है।
राजधानी दिल्ली में चल रहे ट्राइबल फेस्टिवल में गृहमंत्री अमित शाह ने उद्घाटन अवसर पर उत्तराखंड के मडुवे के बिस्कुट का स्वाद चखा। दिल्ली हाट में चल रहे महोत्सव में बागेश्वर जिले के लोहारखेत, कपकोट के हिलांस नाम से प्रसिद्ध मडुवे के बिस्कुट भी रखे गए हैं।
प्रधानमंत्री बंधन योजना के तहत देश के दूरदराज के इलाकों को राजधानी दिल्ली में एक बाजार देने के उद्देश्य से यह ट्राइबल फेस्टिवल लगाया गया है। इस महोत्सव के जरिए जनजातीय क्षेत्रों की संस्कृति को भी पहचान देना है। इस फेस्टिवल में उत्तराखंड के मां चिल्ठा आजीविका स्वायत्त सहकारिता लोहारखेत, कपकोट के हिलांस नाम से निर्मित मडुवे के बिस्कुट भी रखे गए हैं। जब गृहमंत्री अमित साह उद्घाटन कर रहे थे तो विभिन्न राज्यों के उत्पादों को देख रहे थे। इनमें उत्तराखंड से आया मडुवे का बिस्कुट भी था। तभी उन्होंने इसे खाने की बात कही। उन्होंने इसके बाद मडुवे के बिस्कुट का स्वाद लिया और तारीफ भी की। इसके बाद से फेस्टिवल में गई उत्तराखंड की टीम काफी उत्साहित दिखी। उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्हें और भी अधिक बल मिला है। अधिक से अधिक काश्तकारों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जल्द ही यह मडुवे के बिस्कुट देश ही नहीं दुनिया में भी अपनी एक छाप छोड़ेंगे। काश्तकारों में भी काफी खुशी की लहर है।
आजीविका के परियोजना अधिकारी धमेन्द्र पांडे ने बताया कि मुनार के मडुवे के बने बिस्कुट व नमकीन को राष्ट्रीय पहचान मिल रही है, जो उत्पादक, परियोजना और जिले के लिए गर्व की बात है। अब यहां के बिस्कुट जयपुर भी भेजे जाएंगे।

गौरतलब है कि आजीविका परियोजना के सहयोग से मुनार गांव के 84 महिला समूहों ने तीन साल पहले मडुवा, चौलाई के बिस्कुट और नमकीन बनाने का काम शुरू किया था। वर्तमान में इससे आसपास के कई गांवों के 954 परिवार जुड़े हैं। मां चिल्ठा आजीविका स्वायत्त सहकारिता के नाम से गठित इस समिति को असल चर्चा तब मिली जब प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में इन महिला समूहों का उल्लेख किया था। इसके बाद इन बिस्कुटों की मांग बढ़ती गई।