कुली बेगार की तर्ज पर सरयू में बहाईं नई पेंशन स्कीम की प्रतियां
बागेश्वर। उत्तरायणी के एक दिन पूर्व सरयू नदी का तट फिर कुली बेगार आंदोलन की याद दिलाता नजर आया। पुरानी पेंशन बहाली के लिए लामबंद कर्मचारियों ने नई पेंशन स्कीम के विरोध में सरयू तट पर हुंकार भरी। कर्मचारियों ने कुली बेगार आंदोलन की तर्ज पर नई पेंशन योजना की प्रतियों को सरयू में प्रवाहित किया। नदी का पावन जल हाथ में लेकर पुरानी पेंशन बहाली के लिए अंतिम दम तक संघर्ष करने का संकल्प लिया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सोमवार को राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के सैकड़ों कर्मचारी बागनाथ मंदिर के समीप बने सरयू घाट पर एकत्र हुए। उन्होंने नई पेंशन योजना के विरोध में जमकर नारेबाजी की। प्रदेश संयोजक मिलिंद बिष्ट ने कहा कि सरयू के पावन तट से ही आजादी के आंदोलन को धार मिली थी। यही वह स्थान है जहां से कुली बेगार की प्रथा का अंत हुआ। उन्होंने कहा कि इस पतित पावनी सरयू के तट पर मौजूद नई पेंशन स्कीम के पीडि़त कर्मचारी एक बार फिर से इतिहास को दोहराएंगे। मौजूद कर्मचारियों ने सरयू नदी में नई पेंशन स्कीम की संया प्रतियों को प्रवाहित किया। उन्होंने कहा कि नई पेंशन कर्मचारियों के लिए मृतप्राय है। उन्होंने सरयू नदी के पावन जल को हथेली में उठाकर पुरानी पेंशन बहाली तक आंदोलन करने का संकल्प लिया।
ये कर्मचारी रहे मौजूद – इस मौके पर मोर्चा के जिलाध्यक्ष प्रकाश चौबे, राजकीय शिक्षक संघ के मंडलीय अध्यक्ष विजय गोस्वामी, जिलाध्यक्ष सीपी मिश्रा, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य आलोक पांडे, संरक्षक मोहन सिंह बिष्ट, पर्वतीय शिक्षक कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष केसी मिश्रा, मिनिस्ट्रीयल फेडेरेशन के अध्यक्ष अनिल जोशी, एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल संघ के अध्यक्ष भुवन जोशी, राजूहा शिक्षक संघ के अध्यक्ष चरण सिंह बघरी, प्राथमिक संघ के राजू देव, भैरव दत्त पांडे, मंगल सिंह बिष्ट, गोपाल पंत, मोहन साह, महिमन ऐठानी, मनोज असवाल, उषा धपोला, डॉ. पिंकी पांडेय, ममता पांडेय, चंद्रप्रभा मिश्रा, दिनेश भट्ट, हरीश फस्र्वाण, प्रमोद मेहता, मोहन सिंह धामी, रेखा मटियानी, आरडी जोशी, जगदीश दफौटी, गणेश गोस्वामी, ललित जोशी, शंकर सिंह सहित तमाम कर्मचारीगण मौजूद रहे।
कर्मचारी क्यों कर रहे विरोध- 2005 के बाद नियुक्त हुए कर्मचारियों के लिए सरकार ने नई पेंशन स्कीम लागू की है। जिसमें कर्मचारियों को जीपीएफ की सुविधा नहीं मिल रही है, जबकि पुरानी पेंशन में जीपीएफ की सुविधा थी। जिसमें कर्मचारी जीपीएफ से ऋण ले सकता था। नई पेंशन धारक की कुल जमा राशि शेयर बाजार के अधीन है, जबकि पुरानी पेंशन में कुल जमा राशि ब्याज सहित धारक को मिलती थी। नई पेंशन में कुल जमा राशि के साठ प्रतिशत से पेंशन मिलती है, जो कि बहुत कम मिलती है। पुरानी पेंशन में यह राशि अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत होती थी। नई पेंशन में महंगाई भत्ते की बढ़ोत्तरी को हटा दिया गया है। इन कारणों के चलते कर्मचारी नई पेंशन योजना को हटाकर पुरानी लागू करने की मांग कर रहे हैं।
इन विभागों के कर्मचारियों ने की भागीदारी- सोमवार को सरयू तट पर हुए आंदोलन में राजकीय शिक्षक संघ, राजकीय जूनियर शिक्षक संघ, राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ, मिनिस्ट्रीयल कर्मचारी संघ, पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संघ, कर्मचारी मिनिस्ट्रीयल ऑफिसर्स संघ के सैकड़ों कर्मचारियों ने भागीदारी की। जिसमें विभिन्न विभागों से कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर सरयू तट पर संगठित हुए।