मेरे सरकार जरा कोर्ट की भी सुन लो : तलवार से ज्यादा ताकतवर है कलम
नैनीताल ( आखरीआंख समाचार ) उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अखबारों में आज मजीठिया आयोग की रिपोर्ट को लागू करने के लिए दिए सरकार को नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। आज हाई कोर्ट ने श्रमजीवी पत्रकारों, रिपोर्टर्स, स्ट्रिंगर्स, संवादसूत्रों व मीडिया कर्मियों के संस्थानों द्वारा शोषण पर पत्रकार रविंद्र देवलियाल की जनहित याचिका पर उत्तराखंड राज्य सरकार को कई आदेश जारी किए हैं। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को- सभी श्रमजीवी पत्रकारों को 1955 के अधिनियम के अनुरूप व मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करते हुए संस्तुत वेतनमान देने के आदेश को 2011 की अधिसूचना की तिथि से दिये जाने। इसके अलावा उच्च न्यायालय ने मीडिया कर्मियों की आकस्मिक सहायता के लिए निधि बनाने,सभी कार्यरत मीडियाकर्मियों और पत्रकारों को एक सीमा तक निःशुल्क चिकित्सा सुविधा देने। वयोवृद्ध पत्रकारों को उचित पेंशन दिए जाने पेंशन की राशि महंगाई सूचकांक कर अनुसार बढ़ाने पेंशन की योजना तुरंत लागू करने। वयोवृद्ध पत्रकारों के लिए स्वास्थ्य योजना। आवास, प्लाट योजनाओं में आरक्षण संरक्षण दिए जाने, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश की तर्ज पर कल्याणकारी योजना बनाने, निर्भीक पत्रकारिता हेतु उनकी सेवा अवकाश शर्तों में सुधार व 1955 के श्रमजीवी पत्रकार एवं अन्य समाचार पत्र कर्मी ( सेवा की शर्तें) एवं अन्य प्राविधान अधिनियम के प्राविधान सख्ती से लागू करने के आदेश दिए हैं। मीडिया कर्मियों व पत्रकारों की दशा के संदर्भ में न्याय मित्र के रूप में एडवोकेट दुश्यन्त मैनाली ने आंकड़ों और दस्तावेजों सहित मजबूती से मीडिया कर्मियों का पक्ष रखा। न्यायालय ने सभी दलीलों को सुनने के बाद इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे आज सुनाया गया। अपने आदेश के अंत में न्यायालय ने कहा है कलम तलवार से अधिक ताकतवर है।