दुनिया का अतीक बन गया अतीत
गलती किसी कि,सजा किसी को
अतीक एवम अशरफ हत्या कांड मीडिया हुई कलंकित,
लखनऊ,।दुर्दांत माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ हत्याकांड में गलती प्रयागराज पुलिस की है, लेकिन पुलिस को कम बल्कि मीडिया को सजा मिल रही है। क्योंकि हत्यारे परिसर में मीडिया कर्मी बनकर आए थे। हालत यह है कि राजधानी लखनऊ में कालिदास मार्ग पर मीडिया कर्मियों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है।
हमारे देश के सविधान में मीडिया को चौथा स्तंभ बताया गया है।क्योंकि जब कहीं किसी को न्याय नहीं मिलता था तो मीडिया से मिलकर अपनी बात रखता था। बेरोजगारी का यह आलम है कि कोसी नदी की तरह मीडिया में भी बाढ़ आ गई। हर आदमी मीडिया कर्मी बन गया मोबाइल ले लिया और माइक मुंह में लगा दिया । ऐसे तो इनकी पहचान भी नहीं हो पाती है , की कौन असली है और कौन नकली। ,इस घटना से नेताओं के साथ ही अधिकारियों में विश्वास मीडिया के प्रति कम होगा।
घटना को शूटरों ने जिस तरह से अंजाम दिया है इससे तो खतरा उन नेताओं को हो सकता है जिनके पास एसपीजी ब्लैक कमांडो जेड प्लस और अन्य सुरक्षा के साथ रहते है। जो नेता रैलियों में मंच से उतरकर लोगों से हाथ मिलाते हैं ऐसी स्थिति में भीड़ में कोई भी किसी को ठोक देगा । अब ऐसी स्थिति में नेताओं को भीड़ से और मीडिया को वाइट देने से बचेंगे। क्योंकि अगर कोई ऐसी घटना और हो गई तो देश का माहौल खराब हो सकता है।
बहर हाल कालिदास मार्ग पर ही मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक सहित सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों एवम अधिकारियों के आवास है। इसके समाधान के लिए पत्रकारों की भी गाईड लाइन तय होनी चाहिए।
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(लखनऊ)अतीक की मौत छोड़ गई कई सवाल मास्टर माइंड की तलाश जारी
लखनऊ,)।पुर्वांचल के दुर्दांत अपराधी अतीक अहमद की मौत कई अनसुलझे सवाल छोड़ गई है। आखिर इस घटना का मास्टर माइंड कौन है, और उसने क्यू मारा। क्योंकि जो 3 आरोपी पकड़े गए उनका कोई ठोस जवाब नहीं आ रहा है।
अतीक और उसका भाई अशरफ दो दिनों से प्रयागराज में ही थे। एसटीएफ पच दिनों के लिए रिमांड पर लेकर उसकी करतूतों का खुलासा कर रही थी। लेकिन बीती रात जब उसका स्वास्थ्य परीक्षण कराने अस्पताल ले गई तो केवल स्थानीय पुलिस ही थी। साथ ही जब पुलिस की 3 गाडिय़ां जब अस्पताल आती है तो कार से उतरते समय अतीक बाई ओर खड़े मीडिया कर्मियों को देखता है। कुछ ही देर बाद मीडिया कर्मी अतीक से सवाल दागना शुरू कर देते है। दूसरे सवाल पर ही अतीक के दाई कपटी पर सटाकर हमलावर गोली चला देता है। कुछ ही सेकंड में दूसरा हमलावर अशरफ की बाई ओर कनपटी पर गोली चला देता है, जिससे दोनो ही गिर जाते है। फिर तीनो हमलावर 10 सेकंड में 17 राऊंड फायर झोंक देते है। इस तरह अतीक और अशरफ को मौत की निंदमसुलने के बाद तीनो बदमाश पुलिस के समक्ष आत्म समर्पण कर देते हैं।यह तीनो अपराधी लवलेश, सनी और अरुण है, जो बंदा, हमीरपुर और कासगंज के रहने वाले हैं। इनमे किसी का प्रयागराज से संबंध नहीं है। पुलिस के अनुसार यह तीनो 5 दिनों से प्रयागराज में ही घूम कर रैंकिंग कर रहे थे। उनकी अतीक से दुश्मनी भी नही थी। तो उन्होंने किस लिए मारा। पुलिस के अनुसार वोह अतीक जैसा बदमास बनने के लिए यह हत्या की। बरामद पल्सर बाइक का भी नंबर फर्जी था जो किसी होंडा मोटरसाइकिल का निकला।इनके पास जो पिस्टल बरामद हुई है वोह विदेशी है। इसकी कीमत 8 लाख रुपए की बताई जा रही है। मौके पर उनकी आईडी, टूटा कैमरा, बैग, माइक आईडी मिली है।
केवल बड़ा माफिया बनने के लिए कोई किसी को क्यू मारेगा, इसका एमस्टर माइंड कोई और है। पुलिस ने भी इन 3 हमलावरों के साथ ही 5 लोगो के नाम मुकदमा दर्ज किया है । इस तरह अतीक और अशरफ भले ही आज दफन हो गए हो लेकिन कई राज छोड़ गए है।
दो माह में आयोग खोलेगा अतीक की मौत का राज
लखनऊ,16 अपै्रल (आरएनएस)।माफिया अतीक अहमद और अशरफ हत्याकांड की जांच के लिए सरकार ने आयोग का गठन का कर दिया है जो दो माह में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
सूत्रों के अनुसार गृह विभाग द्वारा कमीशन ऑफ़ इनक्वायरी एक्ट 1952 के तहत गत 15 अप्रैल।को प्रयागराज के संपूर्ण
घटनाक्रम की विस्तृत जाँच के लिए एक न्यायिक आयोग गठित किया गया । इस बाबत गृह विभाग द्वारा आदेश भी जारी कर दिए गए है। तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग दो माह के भीतर पूरे प्रकरण की जाँच कर रिपोर्ट
शासन को सौंपेगा। इस आयोग में
अरविंद कुमार त्रिपाठी द्वितीय
सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति , उच्च न्यायालय इलाहाबाद, सुबेश कुमार सिंह ,आईपीएस
सेवानिवृत्त डीजीपी उत्तर प्रदेश एवं बृजेश कुमार सोनी
सेवानिवृत्त जनपद न्यायाधीश प्रमुख होंगे
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(लखनऊ)दुनिया का अतीक बन गया अतीत
लखनऊ,)।जरायम की दुनिया का अंत मिट्टी में मिलना ही होता है। बड़े से बड़े सूरमा का यही अंत हुआ है। गुजरात की साबरमती जेल से मौत उसे खींचकर उसी धूमनगंज में लेकर आयीं, जिस क्षेत्र से उसने जरायम की दुनिया में पहला कदम रखा था उसी छेत्र में आज उसका अंत हो गया। इसी थाना क्षत्र में उसने अपने जीवन का पहला मर्डर चांद बाबा का किया था। तब से तांगे वाला का बेटा जो जरायम की दुनिया में घुसा तो मौत के साथ ही उसका अंत हुआ। निश्चित रूप से अतीक और अशरफ से किसी भी समाज को सिम्पैथी नहीं हो सकती है , लेकिन जिस तरह से इस घटना को अंजाम दिया गया है वह सरकार के प्रशासनिक चूक की बड़ी कहानी कह रही है। किस तरह से 17 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में किसी हथकड़ी पहने बदमाशों को तीन मोटरसाइकिल से आये बदमाशों ने फिल्मी स्टाईल में 10 सेंकंड में 17 गोलियां मार कर छलनी कर दिया। जब वे गोली चला रहे थे।क्या किसी भी पुलिसकर्मी के पास असलहा नहीं था, क्या वे उन्हें जख्मी नहीं कर सकते थे।तीनों बदमाशों ने आराम से अतीक और अशरफ के शरीर पर इतनी गोलियां मारी कि जब वे आश्वस्त हो गये कि दोनों की मौत हो गयी तब तीनों ने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया और नारे भी लगायी। यह पूरा तरीका इसी सिस्टम पर सवाल उठा रहा है। अब तमाम चीजें होंगी, कोरम पूरा किया जायेगा। न्यायिक आयोग गठित होगा, जांच रिपोर्ट आयेगी, पुलिस कर्मियों को सस्पेंड किया गया है न कि टर्मिनेट, फिर बहाल हो जायेंगे। क्योंकि सस्पेंशन कोई सजा नहीं है। कुछ दिन बाद यह पूरी घटना अदालती कठघरे में दम तोड़ देगी। लेकिन इस तरह की यह उत्तर प्रदेश की शायद पहली इतनी बड़ी घटना है, हालांकि कस्टोडिल डेथ उत्तर प्रदेश में पहली बार नहीं हो रही है। लेकिन अतीक और अशरफ की घटना में बड़ा सवाल है कि जब इस घटना को अंजाम दिया जा रहा था तो 22 पुलिसकर्मी हाथ बांधे क्यों खड़े रहे। क्यों तीनों युवकों को हत्या के अंजाम तक पहुंचने तक उन्हें रोका नहीं गया। सवाल बहुत से हैं और सरकार को इन सभी सवालों के जवाब आने वाले समय में देना होगा। यह बात दूसरी है कि सरकार बहुमत में हैं और विपक्ष बेहद कमजोर। ऐसे में इस बात की उम्मीद नहीं की जा सकती कि विपक्ष सरकार पर कोई दबाव बना पायेगा। अतीक और अशरफ से सहानुभूति किसी समाज को नहीं हो सकती लेकिन घटना के तरीके पर सवाल शायद हर शख्स के मन में है कि क्या उत्तर प्रदेश में किसी की भी हत्या कर देना इतना आसान है, वह भी 22-22 पुलिसकर्मियो के सामने। अदालत के सामने सरकार ने फेस सेविंग के लिए पहले ही तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन कर दिया है। न ही इसके सदस्यों का ऐलान किया गया। न ही यह कितने दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा, अभी इसकी जानकारी दी गयी है। इस आयोग से बहुत उम्मीद रखना कि पुलिसकर्मियों को कठघरे में खड़ा किया जायेगा, वक्त बतायेगा। उत्तर प्रदेश के इलाहबाद में जिस अतीक को कभी खौफ के दूसरे नाम से जाना जाता था आज उस अतीक का दर्दनाक अंत हो गया। वो अतीक जिसका रौब ऐसा हुआ करता था कि उसके खिलाफ 100 से ज्यादा मुक़दमे दर्ज थे लेकिन उसे कभी सजा नहीं मिली। आज वही सिर्फ एक गोली में ही धराशाई हो गया। अतीक
अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में गोली मारकर हत्या कर दी गई है। अतीक के खिलाफ लूट अपहरण और हत्या जैसे 100 से ज्यादा मामले दर्ज थे। लेकिन एक अतीक की जिदगी में एक ऐसी वारदात सामने आई जिसने माफिया को मिटटी में मिलकर रख दिया। यह भी विडंबना देखिये कि दो दिन पहले ही उसका सबसे प्रिय बेटा असद मुठभेड़ में मारा गया। वह गिड़गिड़ाता रहा लेकिन जनाजे में शामिल नहीं हो सका। रिश्तेदारों ने शनिवार सुबह ही उसका अंतिम संस्कार किया। वह इसको भी नहीं देख सका और शाम को भाई समेत खुद मौत के घाट उतार दिया गया। पत्नी शाइस्ता परवीन फरार है। दो बेटे जेल में हैं एक लखनऊ तो दूसरा नैनी जेल में बाकी दोनों नाबालिग बेटे बाल सुधार गृह में हैं ऐसे में पोस्टमार्टम के बाद इन दोनों को भी घरवालों की मिट्टी नसीब होना नहीं दिख रहा है। घटना का तरीका कुछ भी हो, कारण कुछ भी हो। लेकिन जरायम की दुनिया का अंत शायद ऐसा ही होता है। यह शायद अब अतीक के बचे हुए परिजनों को भी समझ में आ रहा होगा। खुद अतीक को भी अहसास हो गया था तभी दो दिन पहले उसने कहा था कि मिट्टी में मिल गया हूं।