July 27, 2024

हल्द्वानी में हिंसा के मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक की ये है पूरी कुंडली



नैनीताल । नैनीताल पुलिस ने हल्द्वानी में हिंसा के मास्टरमाइंड बताए जा रहे अब्दुल मलिक की तलाश तेज कर दी है। बनभूलपुरा में विवादित ढांचे पर मालिकाना हक का दावा करने वाले अब्दुल मलिक को 8 फरवरी को हुई हिंसा के लिए पुलिस ने मुख्य तौर पर जिम्मेदार बताया है। दिल्ली में गिरफ्तारी की चर्चा के बीच नैनीताल के एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने दावों को खारिज किया। उन्होंने कहा, ‘हम उसे गिरफ्तार करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं और जल्द उसे पकड़ लिया जाएगा।’ एसएसपी मीणा ने दोहराया कि अब्दुल मलिक ने नजूल भूमि पर अवैध तरीके से ढांचा बनाया और इसके ध्वस्तीकरण का जोरदार विरोध किया।
अब्दुल मलिक हल्द्वानी में दशकों पहले बसे कुछ प्रभावशाली मुस्लिम परिवारों में से एक है। शहरभर में वह अपनी संपत्तियों के लिए जाना जाता है। मलिक का परिवार मुस्लिम समुदाय में अच्छा प्रभाव  रखता है। अब्दुल मलिक खुद एक बड़ा ठेकेदार है और रोड कंस्ट्रक्शन में उसकी अच्छी पकड़ है। मलिक के बारे में जानकारी रखने वाले नैनीताल के एक वकील ने बताया ‘वह क्षेत्र में काफी प्रभावशाली है। उसकी संपत्ति और राजनीतिक कनेक्शन चर्चा योग्य है।’ वकील ने कहा कि कहा, ‘अपुष्ट रिपोर्ट बताते हैं कि वह एक बार बसपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुका है।’
हल्द्वानी नगर निगम की ओर से दिए गए नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती देने वाली अब्दुल मलिक की पत्नी साफिया मलिक के वकील अहरार बेग ने जोर देकर कहा, ‘अब्दुल मलिक प्रभावशाली परिवार से आते हैं। वह बड़े ठेकेदार हैं और रोड और रेलवे की ठेकेदारी में उनकी विशेषज्ञता है। उत्तर प्रदेश और बिहार में कई प्रॉजेक्ट्स उनके पास हैं। उनके करीबी रिश्तेदार उत्तराखंड हाई कोर्ट से रिटायर्ड जज हैं।’ बेग ने कहा कि हिंसा की वजह बनी बनभूलपुरा की संपत्ति अब्दुल मलिक के परिवार के पास 1994 से है।
प्रॉपर्टी कथित तौर पर 7 जनवरी 1937

को मोहम्मद यासीन नाम के शख्स को खेती के उद्देश्य से तत्कालीन ब्रिटिश सरकार की ओर से लीज पर दिया गया था। इस जमीन पर 2002 में दो ढांचे बनाए गए, जिनमें से एक कथित तौर पर मस्जिद मरियम और दूसरा अब्दुल रज्जाक जकारिया मदरसा था। 4 फरवरी को सील किए जाने से पहले तक इसकी देखभाल साफिया मलिक और उसके पति अब्दुल मलिक की ओर से की जा रही थी। बेग ने बताया कि यासीन को जमीन शुरुआत में 10 साल के लिए लीज पर दी गई थी। लेकिन बाद में इसे बढ़ाया जाता रहा। यासीन ने इसे अख्तरी बेगम और नबी रजा खान को बेच दिया। 1994 में बेगम ने इसे साफिया मलिक के पिता अब्दुल हनीफ खान को मौखिक उपहार (हिबा) के रूप में दिया।  2006 में अब्दुल हनीफ खान ने नैनीताल जिला प्रशासन के सामने प्रार्थना पत्र देते हुए फ्री होल्ड अधिकार की मांग की थी।
बेग ने कहा, ‘उन्हें जिला प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। 2007 में उन्होंने रिट पीटीशन हाई कोर्ट में दायर की थी और फ्री होल्ड अधिकार मांगा। 18 अगस्त 2007 को हाई कोर्ट ने नैनीताल के कलेक्टर को समाधान के लिए कहा। लेकिन आदेश के बावजूद फ्रीहोल्ड राइट की प्रक्रिया नहीं हुई।’ बेग ने कहा, ’31 जनवरी को अब्दुल मलिक ने नैनीताल डीएम से मांग की कि हाई कोर्ट के आदेश पर उन्हें फ्री होल्ड दी जाए।’