बीजेपी-कांग्रेस की नाक का सवाल बनीं यूपी की ये सीटें
नई दिल्ली । रायबरेली और अमेठी की सीटों पर बीजेपी कांग्रेस का ‘गढ़ तोड़ने’ का तमगा हासिल करने की कोशिश में है। अमेठी में पिछली बार राहुल गांधी को बीजेपी की स्मृति ईरानी हरा चुकी हैं। इस बार इन दोनों सीटों पर किसका पलड़ा भारी है?कुछ ही दिन पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह रायबरेली में एक जनसभा को संबोधित करते हुए बोले, “रायबरेली में कमल खिला दो, चार सौ पार अपने आप हो जाएगा।
उनके इस बयान से अंदाजा हो जाता है कि रायबरेली की इस सीट को जीतने की कितनी तीव्र अभिलाषा भारतीय जनता पार्टी में है। 2014 और 2019 के मोदी लहर में भी बीजेपी इस सीट को लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हार चुकी है। हालांकि अब उसे लगता है कि शायद जीत ले। उधर कांग्रेस पार्टी अपने गढ़ को बचाने के लिए पूरे जोर-शोर से लगी है। आखिरी मौके पर पार्टी ने कांग्रेस अध्यक्ष रहे राहुल गांधी को मैदान में उतारा है। यहां से पिछले पांच चुनाव उनकी मां और कांग्रेस अध्यक्ष रह चुकीं सोनिया गांधी जीत चुकी हैं। रायबरेली यूपी की एकमात्र सीट है जहां कांग्रेस पार्टी को पिछले लोकसभा चुनाव में जीत मिली थी। 2019 के इस चुनाव में सोनिया गांधी ने बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह को हराया था और वह इस बार भी उम्मीदवार हैं। वैसे दिनेश प्रताप सिंह और उनका परिवार कुछ साल पहले तक कांग्रेस पार्टी में ही था। लोकसभा चुनाव में कम होता मतदान, किसका नुकसान प्रियंका गांधी का प्रचार अमेठी और रायबरेली दोनों ही जगहों पर कांग्रेस पार्टी के प्रचार की मुख्य जिम्मेदारी पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी पर है। प्रियंका गांधी के भाषणों, दोनों ही सीटों से भावनात्मक जुड़ाव और प्रधानमंत्री के आरोपों का शालीन तरीके से जवाब देने की चर्चाएं खूब हो रही हैं। रायबरेली में तो वो देर शाम तक नुक्कड़ सभाएं कर रही हैं और लोग मोबाइल और टॉर्च की रोशनी में भी उन्हें सुन रहे हैं। रायबरेली में एक सभा में प्रियंका गांधी ने कहा, “मैंने अपनी दादी को देखा है दुनिया से लड़ते हुए।
पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए, दुनिया आलोचना करती रही लेकिन वह कभी किसी के सामने रोई नहीं। मोदी जी थोड़ी सी आलोचना सुनकर रोने लगे। इतने कमजोर हैं वो?” अमेठी से उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा के समर्थन में मोहइया केसरिया की एक चुनावी सभा में प्रियंका गांधी ने अमेठी वालों को यह याद दिलाया कि उन्होंने राहुल गांधी को हरा दिया था। राहुल गांधी और पीएम मोदी की तुलना करते हुए उन्होंने कहा, “मोदी जी ने कभी आपकी परेशानी नहीं सुनी, लेकिन आपने जिसे हराया, वह यानी मेरे भाई राहुल गांधी कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देशवासियों की समस्या सुनने के लिए चार हजार किलोमीटर पैदल चले हैं। यह विचारधारा और राजनीतिक सभ्यता का फर्क है।
प्रियंका गांधी इससे पहले भी रायबरेली और अमेठी में प्रचार का जिम्मा संभाल चुकी हैं। वह अमेठी वालों को यह बताना भी नहीं भूलतीं कि कांग्रेस उम्मीदवार किशोरीलाल शर्मा उनके परिवार के सदस्य जैसे ही हैं। रायबरेली में इंदिरा से राहुल तक रायबरेली की बात करें तो यह सीट जब से अस्तित्व में आई, तभी से गांधी परिवार की सीट कही जाने लगी। 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यहां से इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी कांग्रेस के टिकट पर लड़े और जीते। 1957 में फिरोज गांधी फिर जीते। 1960 में फिरोज गांधी के निधन के बाद हुए उप-चुनाव और 1962 के आम चुनाव में यहां से गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ा। 1962 में बैजनाथ कुरील ने जनसंघ उम्मीदवार तारावती को हराकर कांग्रेस की सीट बचाए रखी। हिंदू मुस्लिम मुद्दा है या बेरोजगारी 1967 में रायबरेली सीट से इंदिरा गांधी ने चुनाव जीता। यह उनका पहला लोकसभा चुनाव था। उससे पहले वो राज्यसभा के जरिए संसद में पहुंच चुकी थीं। इंदिरा गांधी ने 1971 में रायबरेली से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के राजनारायण को हराया। राजनारायण ने इस चुनाव को हाईकोर्ट में यह कहकर चुनौती दी कि इंदिरा गांधी ने सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध घोषित कर दिया। 1971 के बाद अगले लोकसभा चुनाव 1977 में हुए जब देश में आपातकाल का दौर खत्म हो चुका था। 1977 की जनता लहर में रायबरेली सीट से उतरीं इंदिरा गांधी को राजनारायण से ही हार का सामना करना पड़ा। तब राजनारायण भारतीय लोकदल के उम्मीदवार थे। 1980 में एक बार फिर इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से लड़ीं और जनता पार्टी की उम्मीदवार विजय राजे सिंधिया को भारी मतों से हराया।