September 8, 2024

गरुड़ में जलजीवन मिशन का प्रशिक्षण सम्पन्न


बागेश्वर गरुड़ । विकासखंड गरुड़ में जलजीवन मिशन अंतर्गत 2 द्विवसीय प्रशिक्षण सत्र का आज क्षेत्र भर्मण के साथ समापन हो गया।
देवऋषि एजुकेशनल सोसायटी देहरादून के तत्वावधान में गरुड़ विकास खण्ड के क्षेत्र पंचायत बैठक कक्ष में चले 2 दिनों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य प्रशिक्षक रत्नेश, उमेश यादव व श्री विक्रम कौशल के द्वारा विकास खण्ड के विभिन्न गांवों से आये करीब 120 ग्राम प्रधान व समिति सदस्यों को मिशन की अनेक बारीकियों से अवगत कराया गया ।
उन्होंने बताया कि कैसे हम सभी ग्रामवासियों को हर घर जल हर घर नल की इस योजना को हमेशा के लिये सफल बनाना होगा।
उन्होंने जल स्रोतों की सफाई, पाईप लाईन का रखरखाव व गांव की स्वच्छता के गुर भी प्रतिभागियों को गहनता से सिखाये।
प्रशिक्षण के अंतिम दिवस सभी प्रतिभागियों को निकटवर्ती ग्राम बन्ड का भी स्थलीय भ्रमण कराया गया । जिसमें सभी सदस्यों के अतिरिक्त वहाँ की ग्राम प्रधान के साथ ग्रामवासी भी उपस्थित रहे और उन सभी को जल संस्थान के जेई सुरेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि कैसे इस ग्राम में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की गई हैं।
श्री नेगी ने कहा कि हमारे द्वारा व ग्रामीणों के सुझावों के अनुसार विभाग ने इस ग्राम को पानी के 7 स्रोतो से जोड़कर यहाँ पर हर घर मे शुद्ध पेयजल सुलभ कराया गया हैं।
जिसपर उपस्थित सभी सदस्यों द्वारा यहाँ पर विभाग द्वारा कराए गए हर कार्य की काफी प्रशंसा मुक्त कंठ से की गई।
कार्यशाला के समापन के अवसर पर सभी प्रतिभागियों को सहायक विकास अधिकारी पंचायत कैलाश गिरी द्वारा प्रमाण पत्र वितरण किया गया ।
इस 2 द्विवसीय कार्यशाला में उपस्थित लगभग सभी सदस्यों ने संस्था द्वारा की गई भोजन व्यवस्था पर अपना रोष जताया। उनका कहना था कि इसी विभाग द्वारा जब पहले अनेक बार यह प्रशिक्षण कराया गया था तो उस समय अच्छे होटलों में बहुत अच्छी खाने की व्यवस्था की गई थी। लेकिन अब हमें केवल कुछ सुखी पूड़िया व सुखी आलू की सब्जी परोसी जा रही है और वह भी करीब 8 घण्टे पहले बनी हुई।
अनेक महिलाओं ने बताया कि वे इसे खाने में असमर्थ रहे और उन्हें इसे नाली में फेंककर 2 दिन भूखा ही रहना पड़ा।
सभी प्रतिभागियों ने संस्था द्वारा पहले दिए गए बैग जो लगभग 400 रुपये का बताया जा रहा था पर भी अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि हमे केवल 10 रुपये के बैग थमाकर उसकी इतिश्री कर दी जा रही हैं।
प्रशिक्षक विक्रम कौशल ने बताया कि उत्तराखंड में हमारी संस्था करीब 50% प्रशिक्षण पूर्ण कर चुकी हैं। और देश के अनेक प्रदेशों में भी उनकी संस्था कायह कार्यक्रम जोर शोर से चल रहा हैं।
यहाँ एक बड़ा। सवाल यह उठता हैं कि जब योजनाओं में सभी कार्य पूर्ण हो चुके हो तो इस प्रशिक्षण का क्या ओचित्य रह जाता हैं। यह केवल बजट को ठिकाने लगाने का एक माध्यम नजर आता हैं।
यदि यही प्रशिक्षण 1 वर्ष पूर्व कराया जाता तो इससे ग्रामीणों को बहुत मदद मिल सकती थी।