इस बड़े देश की सियासत में नया मोड, राष्ट्रपति ने अपनी पत्नी को बनाया ‘सह राष्ट्रपति

मानागुआ । निकारागुआ के राष्ट्रपति डैनियल ऑर्टेगा और उनकी पत्नी का सरकार पर नियंत्रण बढ़ाने वाले प्रस्तावित संवैधानिक सुधारों को गुरुवार को सर्वसम्मति से अंतिम मंजूरी मिल गई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ओर्टेगा ने खुद इस सुधार का प्रस्ताव रखा था, जिससे मध्य अमेरिकी देश के राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल से बढक़र छह साल हो गया।
ये सुधार ओर्टेगा और उनकी पत्नी रोसारियो मुरिलो को सभी विधायी, न्यायिक, चुनावी और पर्यवेक्षी निकायों का समन्वय करने की शक्ति देते हैं, जो पहले संविधान के तहत स्वतंत्र थे। मुरिलो देश की उपराष्ट्रपति हैं लेकिन इन सुधारों के तहत अब वह देश की ‘सह-राष्ट्रपति’ होंगी। नए सुधारों के तहत किसी भी सह-राष्ट्रपति को कितनी भी संख्या में उप-राष्ट्रपति चुनने की अनुमति मिलती है। ओर्टेगा की मृत्यु की स्थिति में, मुरिलो भी नए चुनावों के बिना स्वचालित रूप से निकारागुआ के राष्ट्रपति बन जाएंगी।
सरकार के सहयोगियों ने इन सुधारों का बचाव करते हुए कहा है कि ये लगभग 50 वर्ष पुरानी क्रांति को और गहरा करेंगे। हालांकि आलोचकों ने इन्हें तानाशाही करने वाले वंश द्वारा तेजी से सत्ता हथियाने का प्रयास बताया है। बुधवार को नेशनल असेंबली की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, इस तरह, हम अपनी क्रांति को और गहरा करने के लिए गणतंत्र के राष्ट्रपति, कमांडेंट डैनियल ऑर्टेगा और कॉम्पैनेरा रोसारियो मुरिलो के दिशा-निर्देशों का पालन करना जारी रखेंगे। नए सुधार दो दिनों में पारित किए गए। निकारागुआ की नेशनल असेंबली के प्रमुख गुस्तावो पोरस ने इस महीने की शुरुआत में कहा था, हमें कदम दर कदम आगे बढऩा होगा और यह स्पष्ट करना होगा कि निकारागुआ की सरकार एक क्रांतिकारी सरकार है, भले ही इससे कुछ लोगों की भावनाएं आहत हों।
2024 में निकारागुआ में अंतरराष्ट्रीय निगरानी समूह ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि ओर्टेगा और मुरिलो ने दमनकारी गतिविधियों को जारी रखा है। इसमें यह भी कहा गया कि संवैधानिक सुधार ‘व्यवस्थित मानवाधिकार उल्लंघनों’ के लिए कानूनी कवर प्रदान करेंगे, जैसे कि कथित ‘देशद्रोहियों’ की नागरिकता रद्द करना। ओर्टेगा पहली बार 1985 से 1990 तक राष्ट्रपति रहे और 2007 में दोबारा सत्ता में लौटे। तब से निकारागुआ ने अपने सैकड़ों वास्तविक और कथित विरोधियों को जेल में डाल दिया है। ओर्टेगा पर मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप हैं जिसके चलते उन पर पश्चिमी प्रतिबंध लगे हैं।