December 24, 2024

क्रिया योग प्रकाश की तेजी से भविष्य में ले जाताः योगिराज सिद्धनाथ

ऋषिकेश ( आखरीआंख )  कुण्डलिनी क्रिया योग के पवित्र फास्ट ट्रैक डेवलपमेंटरी प्रैक्टिस में भाग लेने की इच्छा रखने वाले साधकों को परमार्थ निकेतन आश्रम में बुधवार 20 फरवरी को योगीराज गुरुनाथ सिद्धनाथ ने क्रिया योग के विज्ञान का अनुभव कराया। क्रिया योग को जगाने वाले दिव्य मार्ग को सभी विज्ञानों का विज्ञान कहा जाता है। क्रिया योग एक तरह से जीवन है य यह स्वयं के विकास को गति देता है। यह ईश्वरी प्रक्रिया है जो मन को बदल देती है, और साधक को आत्म-प्राप्ति की ओर अग्रसर करती है। क्रिया योग के बारे में योगिराज कहते हैं क्रिया योग का अभ्यास करने के लिए, आपको भगवान में विश्वास करने वाला या भगवान में विश्वास नहीं करने वाला नहीं होना चाहिए। शाकाहारी या मांसाहारी नहीं होना चाहिए। योगिराज कहते हैं कि कुण्डलिनी क्रिया योग का अभ्यास करने से अशुद्ध कर्मों के द्वारा संचित संस्कार धुल जाते हैं। इस अभ्यास से कुंडलिनी की शक्ति रीढ़ की हड्डी के माध्यम से शरीर में ऊपर की ओर संचारित होती है और बाहर जाती श्वास के द्वारा बुरे कर्मो के संस्कारों को अग्नि की भाँति नष्ट कर देती है। इस प्रक्रिया का प्रभाव यह होता है कि चित्त स्थिर और शांत होता है और भावनाओं के नियंत्रण में मनुष्य नहीं रहता, वह चेतना की उच्च स्थिति को प्राप्त होता है। जब यह अभ्यास गहरा और प्रगाढ़ हो जाता है तो परमात्मा से साक्षात्कार में सहायता होती है और चित्त से भय  और शंका का निवारण हो जाता है। योगीराज की शिक्षाएँ सरल हैं, उनमें व्यावहारिक तकनीक शामिल हैं जो शरीर, मन और आत्मा को फिर से जीवंत करने में सहायता करते हैं, भावनात्मक दुखों को खत्म करते हैं और मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता उत्पन्न करते हैं।