-दिल का दौरा पड़ने के बाद पहले घंटे के भीतर दिया गया उपचार जीवन रक्षा और जटिलताओं से बचाव के लिए होता है महत्वपूर्ण
हरिद्वार, ( आखरीआंख ) आंकड़े बताते हैं कि भारतीयों को खराब जीवन शैली से लेकर जीन-संरचना तक अनेक कारकों के चलते, अन्य जातीय समूहों की तुलना में, लगभग 8 से 10 साल पहले ही दिल के दौरे का शिकार होना पड़ जाता है। स्थिति तब और बिगड़ जाती है, जब दिल के दौरे के शिकार लोगों में से कई को 3 घंटे या उससे भी अधिक समय के बाद अस्पताल पहुंचाया जाता है, जिससे उनके सामान्य स्वास्थ्य को लौटाने में मुश्किल होती है। वे उपचार के गोल्डन ऑवर या सुनहरे घंटे को खो चुके होते हैं जोकि दिल का दौरा पड़ने के बाद पहला एक घंटा होता है, जो जटिलताओं और फलस्वरूप मृत्यु की आशंका को कम करने में महत्वपूर्ण होता है।
इस बारे में बात करते हुए डॉ. राजीव अग्रवाल सीनियर डायरेक्टर एवं यूनिट हेड कार्डियोलॉजी, मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत, नई दिल्ली ने कहा, “दिल का दौरा पड़ने की स्थिति में, समय का बड़ा महत्व है। बहुत से लोग सीने में दर्द को नजरअंदाज करते हैं और इसे एसिडिटी या अपच से जोड़ कर देखते हैं। हालांकि, छाती में होने वाले कैसे भी तीव्र दर्द की हालत में तुरंत एक विशेषज्ञ से जांच करवानी चाहिए। उन लोगों को तो खास करके जिन्हें जेनेटिक या आनुवंशिक वजह से हृदय की समस्याएं हैं। इसमें हृदय की मांसपेशियों की क्षति को रोकने के लिए, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम और रक्त परीक्षण शामिल है। शुरुआत में, सटीक तरीके से हृदय रोग की पुष्टि की जानी जानी चाहिए। स्टेमी या एसटी एलिवेशन मायोकार्डियल इनफार्क्शन एक बड़ा खतरा है, क्योंकि यह कोरोनरी धमनी में पूर्ण रुकावट का कारण बनता है और उस धमनी के जरिये ऑक्सीजन की आपूर्ति न हो पाने से हृदय की मांसपेशियों मरने लगती हैं। इस ब्लॉकेज को शीघ्रता से दूर किया जाना चाहिए, ताकि दिल की विफलता या दिल की असामान्य गति जैसी हालत पैदान न होने पाये, क्योंकि ये घातक साबित हो सकती हैं। दूसरी ओर, नॉन-स्टेमी से आंशिक रुकावट होती है, लेकिन ऐसी हालत भी खतरनाक होती है, जिसमें आईसीयू में भर्ती करने और उपचार की तत्काल आवश्यकता होती है।“ दिल का तीव्र दौरा पड़ने के सामान्य लक्षण हैंः पसीने के साथ सीने में गंभीर दर्द, सांस लेने में कठिनाई, ब्लैकआउट, डूबने का अहसास, ठंडा पड़ना, अत्यधिक थकान मधुमेह रोगियों में खासकर, सीने में दर्द जो दोनों हाथों, जबड़े और पीठ की ओर फैलता प्रतीत होता है तथा पेट की परेशानी, उल्टी या मतली आना आदि। महिलाओं को सांस लेने में कठिनाई, मतली, उल्टी और पीठ में दर्द जो जबड़े तक फैलता है, आदि का अनुभव हो सकता है। डॉ. अग्रवाल ने कहा, “दर्द की तीव्रता निर्णायक फैक्टर नहीं होनी चाहिए। दिल के कुछ दौरे पूरी तरह से दर्द रहित हो सकते हैं और सीने में अचानक जलन, सांस फूलना, चक्कर आना, बेचैनी, उल्टी या पसीना जैसे लक्षणों के रूप में प्रकट हो सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसे अस्पष्ट लक्षणों का अनुभव करता है जो दिल का दौरा पड़ने के कारण हो सकता है, तो “गोल्डन रूल“ यह है कि उन्हें “गोल्डन ऑवर“ के भीतर कैथ लैब वाले किसी अस्पताल मंे ले जाना चाहिए।