पीठासीन अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट-चंडीगढ़ मेयर चुनाव
नईदिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में धांधली को लेकर सख्त रुख अपनाया है। मंगलवार को कोर्ट ने मामले में बैलेट पेपर तलब किए हैं और अब कोर्ट खुद बैलेट पेपर को देखेगा।सुनवाई को दौरान मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने चुनावी खरीद-फरोख्त एक गंभीर मामला बताया और कहा कि अनिल मसीह ने माना है कि उन्होंने बैलेट पेपर पर निशान लगाए हैं और उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए।अब मसीह बुधवार को कोर्ट में पेश होंगे।
30 जनवरी को चंडीगढ़ मेयर का चुनाव हुआ था। इसमें 20 वोट होने के बावजूद भी आप -कांग्रेस का गठबंधन हार गया था, वहीं 16 वोट होने पर भी भाजपा जीत गई थी।ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने आप -कांग्रेस गठबंधन के 8 वोट अमान्य करार दे दिए थे। इस निर्णय को लेकर आप ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।अब सुप्रीम कोर्ट ने पीठासीन अधिकारी ने बैलेट पेपर से छेड़छाड़ करने की बात स्वीकारी है।
सीजेआई ने मसीह के वकील से कहा कि बैलेट पेपर पर निशान लगाए गए, जबकि आपको सिर्फ हस्ताक्षर करने चाहिए थे और आपने किसी अधिकार से निशान लगाए।उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से सभी बैलेट पेपर मांगे और कहा कि कड़ी सुरक्षा में बैलेट पेपर और मतगणना की पूरी सीसीटीवी वीडियो की रिकॉर्डिंग को कोर्ट में पेश करे।इससे पहले मसीह के वकील ने कोर्ट में स्वीकार किया कि 8 बैलेट पेपर पर निशान लगाए गए हैं।
सीजेआई ने नए सिरे से चंडीगढ़ मेयर का चुनाव कराने के प्रस्ताव पर कहा कि पहले नए पीठासीन अधिकारी द्वारा बैलेट पेपर की जांच की जानी चाहिए।उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारी मसीह द्वारा विकृत किए बैलेट पेपर की जांच के बाद ही नए सिरे से चुनाव कराए जाने को लेकर कोई फैसला लिया जा सकता है।उन्होंने आप के 3 पार्षदों के भाजपा में शामिल होने पर कहा कि जो ‘हॉर्सट्रेडिंग’ चल रही है, वह एक गंभीर मामला है।
दरअसल, चंडीगढ़ की नगर निगम में कुल 35 सीटें हैं। इसमें भाजपा के 14 और शिरोमणि अकाली दल का एक पार्षद है और एक वोट चंडीगढ़ सांसद का भी है। दूसरी ओर आप के पास 13 और कांग्रेस के पास 7 पार्षद हैं।मामले में कोर्ट में सुनवाई से पहले आप के 3 पार्षद पूनम देवी, नेहा मुसावत और गुरचरण काला भाजपा में शामिल हो गए। अब भाजपा पक्ष में कुल 19 पार्षद हैं, जो बहुमत का आंकड़ा है।