December 5, 2025

धराली आपदा: हर्षिल घाटी के गांवों से लेकर गंगोत्री तक राशन संकट


देहरादून ।  हर्षिल घाटी के गांवों में लोगों के पास राशन खत्म होने लगा है। सामान खत्म होने पर 23 में 14 दुकानदार अपनी परचून की दुकानें बंद कर चुके हैं। फिलहाल आपदा प्रभावित धराली और हर्षिल में ही सरकारी राहत सामग्री पहुंचाने पर फोकस है, ऐसे में बाकी गांव खाद्यान्न के गहरे संकट की ओर बढ़ रहे हैं और उन्हें नमक, चीनी, चायपत्ती जैसी जरूरत का सामान भी नहीं मिल पा रहा है। गंगोत्री हाईवे पर जिला मुख्यालय से आगे गंगनानी के पास लिम्चागाड़ में 5 अगस्त को पुल बह गया था। अस्थाई पुल बनने के बाद डबरानी में आधा किमी. घंसे हाईवे से हर्षिल घाटी के गांवों का सड़क संपर्क पिछले 10 दिनों से कटा हुआ है। आपदा राहत कार्यों को लेकर पूरा फोकस धराली और हर्षिल में है। ऐसे में बाकी घाटी के आठ गांवों के सामने खड़ा हुआ संकट चुनौती बन गया है। राशन खत्म होने पर सुक्की से लेकर गंगोत्री तक 14 परचून वाले अपनी दुकानों पर ताला डाल चुके हैं। स्थानीय निवासी गोपाल राम के मुताबिक नमक, चीनी, मसाले खत्म हो गए हैं। पिछले दो-तीन बार से सरकारी राशन के साथ नमक तक नहीं मिला था, अब गांव की दुकानों में भी नमक खत्म हो गया है। उत्तरकाशी से टमाटर, प्याज भी यहां नहीं आ पा रहा है। गांव में सब्जियां हो जाती हैं, तो इससे काम चला रहे हैं। 12 हजार की आबादी के सामने संकट सुक्की गांव निवासी महेंद्र सिंह राणा बताते हैं कि उनके गांव के साथ ही झाला, जसपुर, पुराली, बगोरी, हर्षिल, मुखवा और धराली की आबादी करीब 12 हजार है। हर्षिल, धराली में प्रभावितों तक मदद पहुंच रही है। बाकी गांवों में अभी किसी तरह की मदद नहीं पहुंची है। घरों में भी रखा राशन भी खत्म हो रहा है। गंगोत्री में रह रहे लोगों के सामने भी खाद्यान्न संकट की स्थिति पैदा होने लगी है। दुकानों में भी नहीं बचा है राशन सुक्की में परचून की दुकान चलाने वाले राकेश राणा बताते हैं कि सामान खत्म होने पर दुकानदार अपनी दुकानें बंद कर दे रहे हैं। उनके पास भी सिर्फ दो-तीन दिन का स्टॉक ही बचा है। सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान संचालक कपिल राणा के मुताबिक जुलाई आखिर में सरकारी राशन बांटा था, लेकिन अब सड़क बंद है, तो सरकारी राशन भी नहीं आया पाया है। न वाहन, न घोड़े खच्चर और न मिल रहे मजदूर इन गांव से आपात स्थिति में निकलने के लिए या फिर टूटे हुए हाईवे के हिस्से से अपने यहां राशन अन्य सामान पहुंचाने के लिए वाहन भी नहीं मिल रहे हैं। स्थानीय लोगों के 16 से अधिक प्राइवेट वाहनों का प्रशासन ने अधिग्रहण कर लिया है। बाकी जो निजी वाहन हैं, उनके लिए पेट्रोल-डीजल नहीं मिल पा रहा है। घोड़े खच्चर और मजदूर भी हर्षिल में सेना, पुलिस और एसडीआरएफ की मदद में लगे हैं। इससे गांव वालों की मुश्किलें और बढ़ गई है। गैस खत्म, लकड़ी में पक रहा खाना आपदा से कटे गांवों में रसोई गैस की सप्लाई बाधित होने के बाद अब लोग लकड़ी से चूल्हे जला रहे हैं। झाला निवासी केदार सिंह बताते हैं कि गैस सिलेंडर खाली पड़े हैं, बरसात में लकड़ी गीली हो रखी है, चूल्हा जलाना भी मुश्किल हो रहा है। सरकारी राशन

भी बचा है सीमित जिला पूर्ति अधिकारी आशीष कुमार के मुताबिक झाला स्थित सरकारी गोदाम में सिर्फ 150 कुंतल चावल और इतना ही गेहूं बचा है। इस गोदाम से ही आपदा प्रभावित क्षेत्र के राहत शिविरों और राहत बचाव टीमों के लिए खाद्यान्न सप्लाई किया जा रहा है। इस क्षेत्र के आठ गांव में सरकारी सस्ते गल्ले की नौ दुकान हैं। बगोरी के रिटेलर ने खाद्यान्न नहीं उठाया था, बाकी आठ गांवों को सितंबर तक का सरकारी राशन आपदा से पहले बांट चुके हैं। हाईवे खुलने पर अगले छह माह का राशन भी बांट दिया जाएगा। गर्भवतियों को पहुंचा रहे उत्तरकाशी जिलाधिकारी प्रशांत आर्या के मुताबिक इन गांवों में स्वास्थ्य विभाग की टीम आशा वर्कर के संपर्क में है। हर्षिल, धराली के अलावा इलाके के अन्य गांव में गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों हेलीकॉप्टर से उत्तरकाशी पहुंचाने का काम शुरू किया है। बाकी गांवों में खाद्यान्न संकट की स्थिति से निपटने के लिए टीमें लगाई जा रही हैं, उन्हें झाला स्थित सरकारी गोदाम से बचा हुआ राशन सप्लाई किया जाएगा।